महादेवी वर्मा का जीवन परिचय Mahadevi Varma ka jivan Parichay

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय Mahadevi Varma ka jivan Parichay 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, हमारे इस लेख महादेवी वर्मा का जीवन परिचय (Mahadevi Varma ka jivan Parichay) में। दोस्तों इस लेख के माध्यम से आज आप महादेवी वर्मा का जीवन परिचय उनके भाव पक्ष कला पक्ष के साथ ही साहित्य में स्थान और रचनाएं जान पाएंगे। 

दोस्तों यह लेख कक्षा 10 से कक्षा 12वी तक के छात्र-छात्राओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहाँ से बहुत से क्वेश्चन एग्जाम्स में पूछे जाते हैं, तो आइये दोस्तों शुरू करते हैं आज का यह लेख महादेवी वर्मा का जीवन परिचय:- 

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय Mahadevi Varma ka jivan Parichay 

महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य के छायावादी युग की एक महान कवयित्री कहीं जाती हैं, जिनको आधुनिक मीरा के नाम से भी ख्याति प्राप्त है। महादेवी वर्मा ने अपने जीवन में भारत देश को गुलामी की बेड़ियों में जकड़े हुए देखा है तो वहीं उन्होंने भारत की आजादी के अमृत महोत्सव में भी डुबकी लगाई है, 

किंतु समाज में फैली बुराइयाँ तथा विभिन्न प्रकार की कुरीतियों के विरोध में उन्होंने एक समाज सुधार की भूमिका निभाई, क्योंकि उन्होंने समाज में फैले कष्ट हाहाकार भयंकर दुख प्रताड़ना शोषण आदि को अपनी आंखों से देखा है और इन सबको उन्होंने अपने काव्य के माध्यम से अलंकृत किया है। 

ऐसी महान कवयित्री का जन्म 26 मार्च सन 1960 को उत्तर प्रदेश के एक प्रसिद्ध नगर फर्रुखाबाद में हुआ था। महादेवी वर्मा का जन्म होलिका दहन के पावन पर्व पर हुआ था। उनके पिताजी श्री गोविंद प्रसाद वर्मा थे, जो एक महाविद्यालय में प्राध्यापक थे, 

जबकि उनकी माताजी हेमरानी देवी थी, जो बड़ी ही धर्म परायण संस्कार वान धार्मिक प्रवृत्ति की दयालु स्त्री थी, जिनका प्रभाव उनकी पुत्री महादेवी वर्मा पर पड़ा। महादेवी वर्मा का विवाह डॉक्टर स्वरूप नारायण से हुआ था, तथा 1987 ईस्वी में उत्तर प्रदेश इलाहाबाद में महादेवी वर्मा जी का निधन हो गया।

महादेवी वर्मा की शिक्षा Education of Mahadevi Varma 

महादेवी वर्मा की शिक्षा इंदौर के एक मिशन विद्यालय से शुरू हुई थी। बचपन से ही उन्हें सबसे अधिक साहित्य लेखन पसंद था, इसलिए वह केवल 7 वर्ष की थी तब से ही उन्होंने कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। 

उन्होंने संस्कृत अंग्रेजी चित्रकला की शिक्षा घर पर प्राप्त की थी, किंतु शादी हो जाने के बाद उनकी शिक्षा में कई बधाएँ आई परंतु उनको पति का साथ मिला और उन्होंने इलाहाबाद कॉलेज में अपना अध्ययन किया और हॉस्टल में रहना प्रारंभ कर दिया। 

अपने पति के साथ के कारण उन्होंने कक्षा आठवीं की परीक्षा पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान पाकर पास की और मैट्रिक भी पास कर लिया। जब महादेवी वर्मा ने मैट्रिक पास किया था उस समय तक वह एक सफल कवियत्री बन चुकी थी। उन्होंने 1932 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में MA की भी उपाधि प्राप्त की।

महादेवी वर्मा की रचनाएँ Composition of Mahadevi Varma 

महादेवी वर्मा ने अपने जीवन में विभिन्न रचनाओं रेखाचित्र निबंध और संस्मरण हिंदी साहित्य को प्रदान किए हैं जो यहां पर निम्न प्रकार से हैं:- 

  1. कविता संग्रह :- महादेवी वर्मा के प्रमुख कविता संग्रह नीरजा, निहार, रश्मि, दीपशिखा अग्नि रेखा,  प्रथम आयाम के अलावा सांध्यगीत, सप्तपर्णा,परिक्रमा यामा आदि हैं।
  2. संस्मरण :- महादेवी वर्मा ने हिंदी साहित्य को कई संस्मरण दिए हैं, जिनमें से कुछ प्रसिद्ध संस्मरण पाठ का साथी, मेरा परिवार है।
  3. रेखाचित्र :- महादेवी वर्मा ने अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ जैसे बहुत ही महत्वपूर्ण रेखाचित्र हिंदी साहित्य को प्रदान किए हैं।
  4. निबंध:- महादेवी वर्मा एक कुशल निबंधकार भी थी उन्होंने निबंधों की श्रृंखला में श्रृंखला की कड़ियाँ, साहित्यकार की आस्था जैसे निबंध हिंदी साहित्य को प्रदान किए हैं।

महादेवी वर्मा का भाव पक्ष Bhav paksh of Mahadevi Varma 

महादेवी वर्मा जी एक ऐसी कवियत्री थी, जिन्होंने भारत देश की गुलामी के साथ ही भारत देश की आजादी का भी जश्न मनाया था। भारत देश आजाद होने के बाद समाज में फैले कष्ट दुर्व्यवहार शोषण आदि को उन्होंने बहुत ही करीब से देखा और लोगों की मानवीय पीड़ा वेदना आदि को अपने काव्य के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने की चेष्टा की, 

इसीलिए उनका काव्य सजीवता का प्रतीक होता है। उनके काव्य में आध्यात्मिकता का रहस्य भी दिखाई देता है, जबकि मुक्ति की आकांक्षा की भी झलक होती है। महादेवी वर्मा ने अपने काव्य के माध्यम से अकेली स्त्री की मनोदशा उसके अनुभव करने अकेलापन विरह वेदना प्रिय से मिलन के मनोभावों का बड़ा ही ममस्पर्शी वर्णन किया है।

महादेवी वर्मा का कला पक्ष Kala Paksha of Mahadevi Varma 

महादेवी वर्मा ब्रजभाषा की एक बहुत ही प्रसिद्ध कवियत्री थी। उन्होंने अपने काव्य को बृज भाषा से अलंकृत किया है। ब्रजभाषा के कोमल शब्दों का प्रयोग उन्होंने अनुकूल संस्कृत बांग्ला भाषा के साथ ऐसे तालमेल से किया है, 

कि उनका काव्य सजीवता का प्रतीक बन गया है। उन्होंने अपनी गीतों में लय सरलता का भंडार भर दिया है। महादेवी वर्मा का काव्य प्रकृति प्रेम सामाजिकता प्रतीक योजना मानवीकरण के साथ ही वह वेदना से ओतप्रोत है। उनके गीतों में गीत संगीतमक्ता के साथ ही रहस्यवाद दिखाई देता है।

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय भाषा शैली Bhasha Shaili of Mahadevi Varma 

आधुनिक युग की मीरा कहीं जाने वाली महादेवी वर्मा ने अपने काव्य को ब्रजभाषा के माध्यम से अलंकृत किया है, साथ ही उन्होंने शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली में भी अपनी रचनाएं शुरू की थी, उनके काव्य में संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्रयोग भारी मात्रा में हुआ, 

जबकि कहीं-कहीं पर उर्दू के शब्दों का भी मिला-जुला प्रयोग देखने को मिल जाता है। उन्होंने अपने काव्य में प्रतीकात्मक, चित्रात्मक अलंकारात्मक और गीतात्मक शैलियों का प्रयोग बढ़-चढ़कर किया है, जबकि सबसे प्रमुख स्थान गीतात्मक शैली को दिया है।

महादेवी वर्मा का हिंदी साहित्य में योगदान Sahitya Mai yogdan 

महादेवी वर्मा ने विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय जागरण जैसी कविताएं लिखना प्रारंभ कर दिया था और यह सब इसलिए हुआ था, क्योंकि उन्होंने आजादी और गुलामी दोनों को ही देखा था। उनकी कविताओं में मानवीय संवेदनाएं साफ-साफ दिखाई देती है, उन्होंने लेखन संपादन के साथ ही अध्यापन में भी अपना अमूल योगदान दिया और वह महिला विद्यापीठ की प्राचार्य और उपकुलपति भी रह चुकी हैं। 

उन्होंने हिंदी साहित्य को प्रमुख रचनाएँ, नीरजा, निहार, दीपशिखा, स्मृति की रेखाएँ, अतीत के चलचित्र, पाठ का साथी, मेरा परिवार जैसी अमूल्य रचनाएं दी हैं। महात्मा गांधी तथा महात्मा बुद्ध के धर्म से प्रभावित महादेवी वर्मा जी उनके आदर्शों और सिद्धांतों पर जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत तक चलती रही है। 

महादेवी वर्मा को पुरस्कार Award to Mahadevi Varma 

महादेवी वर्मा के हिंदी साहित्य में योगदान तथा समाज कल्याण की भावना से उत्प्रोत रचनाएं लिखने के कारण उन्हें उनके जीवन में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनको सबसे पहले 1943 में मंगला प्रसाद पारिततोषिक तथा भारती सम्मान से पुरस्कृत किया गया इसके पश्चात उन्हें 1956 में भारत के पद्म भूषण से सम्मानित किया गया, जबकि 1988 में पद्म विभूषण से और इसके पश्चात 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से उनको सुशोभित किया गया। 

महादेवी वर्मा का साहित्य में स्थान Sahitya Mai sthan Mahadevi Varma 

महादेवी वर्मा एक ऐसी महान कवयित्री थी, जिन्होंने समाज सुधारक और कवियत्री दोनों का ही फर्ज अपने जीवन में निभाया है। उन्होंने समाज को सुधारने के लिए विभिन्न ऐसी रचनाएं प्रदान की हैं जो समाज को सोचने पर विवश कर देती हैं तथा सामाजिक लोगों को भावों से भर देती हैं। हिंदी साहित्य को विभिन्न गद्य रचनाएं प्रदान करने वाली ऐसी महान कवित्री भारतवर्ष में तथा हिंदी साहित्य में अमरता प्राप्त करने वाली हिंदी जगत की आधुनिक मीरा महान कवयित्री रही हैं और रहेंगी। 

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