विशिष्ट बालक की विशेषताएँ Characteristics of special child

विशिष्ट बालक की विशेषताएँ Characteristics of special child

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख विशिष्ट बालक की विशेषताएँ (Characteristics of a special child) में।

दोस्तों इस लेख में आज आप विशिष्ट बालक का अर्थ, विशिष्ट बालक की परिभाषा, विशिष्ट बालक के प्रकार और विशेषताएँ पड़ेंगे।  यह लेख बीएड छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और यहाँ से प्रश्न भी पूंछे जाते है, तो आइये शुरू करते है, यह लेख विशिष्ट बालक का अर्थ परिभाषा तथा विशेषताएँ:-

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विशिष्ट बालक की विशेषताएँ


विशिष्ठ बालक क्या है What is a special child

हम अपने आसपास कई बालको को देखते है, जिनमें कुछ सामान्य होते है, जबकि कई बालक - बालिकायें सामान्य बालक-बालिकाओं से विभिन्न विशेषताओं (Cherecter) के कारण अलग होते है और उनकी इन्ही विशेषताओं के कारण उन्हें विशिष्ठ बालक (Special Child) कहते है।

विशिष्ठ बालकों के अंतर्गत, शारीरिक, मानसिक रूप से विकलांग प्रतिभाशाली बालक आते है, जिनके विकास (Development) के लिए अलग से विशेष विद्यालयों में उनकी शिक्षा की व्यवस्था तथा अन्य आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था करनी पडती है। 

विशिष्ट बालक का अर्थ Meaning of special child

संसार में कई बालक होते (Special Child) हैं, जिनमें कुछ ना कुछ विशेषताएँ होती है और इन विशेषताओं के आधार पर कुछ बालक एक जैसे होते हैं, जबकि इन्हीं विशेषताओं के आधार पर कुछ बालक अन्य बालकों से अलग होते हैं और जब यह विभिन्नताऐं या विशेषताएं चरम सीमा तक पहुंच जाती हैं तो फिर उन बालकों को विशिष्ट बालक (Special Child) कहा जाता है। इस प्रकार से हम कह सकते हैं,

कि औसत या सामान्य बालक से किसी भी विशेष अच्छी या बुरी विशेषता को प्राप्त करने वाला या धारण करने वाला बालक विशिष्ट बालक कहलाता है। विशिष्ट बालक शब्द का ना केवल मानसिक रूप से संवेगात्मक शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग बालकों के लिए ही प्रयोग होता है अपितु उन बालकों के लिए भी विशिष्ट बालक शब्द का प्रयोग होता है,

जो बौद्धिक दृष्टि से भी विशिष्ट होते हैं, जैसे कि प्रतिभाशाली बालक और इन सभी प्रकार के विशिष्ट बालकों को विशेष शिक्षा की आवश्यकता होती है। विशिष्ट बालकों के विभिन्न वर्गों के लिए विशेष रूप से नियोजित होती है इस प्रकार की शिक्षा सामान्यत:  अलग कक्षाओं में और अलग विद्यालयों में प्रदान की जाती है। इन विद्यालयों के अध्यापक भी विशेष रूप से प्रशिक्षित किए जाते हैं,

ताकि वह बालकों की क्षमताओं के अनुसार उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहें। शिक्षा की दृष्टि से ही विशिष्ट बालकों की बहुत सारी ऐसी महत्वपूर्ण समस्याएँ होती हैं, जिनको समझना बहुत ही मुश्किल होता है और हमारे देश में विशिष्ट बालकों की संख्या भी बहुत अधिक है, जबकि इसके विपरीत उनकी शिक्षा के लिए उनके विकास के लिए विद्यालयों की संख्या बहुत कम है। परिणाम स्वरूप अधिकतर विशिष्ट बालकों को विद्यालय की शिक्षा के अधिक अवसर नहीं मिल पाते हैं और वह या तो घर पर ही रहते है,

या सामान्य बालकों के स्कूल में जाकर शिक्षा ग्रहण करते हैं, जहां पर उन्हें विशेष सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होती हैं, जो उनको उपलब्ध होनी चाहिए जिन सुविधाओं के अभाव में वह शिक्षा ग्रहण करते हैं तो वह अपना विकास ठीक प्रकार से नहीं कर पाते हैं। इसलिए विशिष्ट बालकों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षक और विशेष विद्यालय होने आवश्यक होते हैं। 

विशिष्ट बालक की परिभाषा Definition of special child

  1. क्रिक महोदय के अनुसार :- विशिष्ट बालक मानसिक, शारीरिक तथा सामाजिक गुणों में सामान्य बालकों से भिन्न होता है उसकी भिन्नता कुछ इस सीमा तक होती है, कि उसे विद्यालय के सामान्य कार्यों में विशिष्ट शिक्षा सेवाओं में परिवर्तन की आवश्यकता होती है। ऐसे बालकों के लिए कुछ अतिरिक्त अनुदेशन भी चाहिए ऐसी दशा में उनका सामर्थ्य का सामान्य बालकों की अपेक्षा अधिक विकास हो सकता है।
  2. डब्ल्यू. एम. क्रूचशेन्क के अनुसार :- एक विशिष्ट बालक वह है जो शारीरिक, बुद्धिमानी तथा समाज के आधार पर सामान्य बालक की अपेक्षा गुणों में अधिक विकसित हो तथा सामान्य शिक्षा कक्ष में शिक्षण कार्यक्रम के मध्य उसे विशिष्ट प्रकार के व्यवहार की आवश्यकता हो।
  3. फोरनेस के अनुसार :- ‘विशिष्ट’ एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसकी शारीरिक, मानसिक, बुद्धि, इन्द्रियाँ, माँसपेशीय क्षमताएँ अनोखी हों अर्थात् सामान्यता ऐसे गुण दुर्लभ हों। ऐसी अनोखी दुर्लभ क्षमताएँ उसकी प्रवृत्ति तथा कार्यों के स्तर में भी हो सकती हैं। इस प्रकार के बालक प्रतिभाशाली बालक के रूप में परिभाषित होते हैं ऐसे बालक बड़ी आसानी से अन्य बालकों के बीच में पहचाने जा सकते हैं।
  4. क्रो एवं क्रो के अनुसार :- वह बालक जो मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और संवेगात्मक आदि विशेषताओं से विशिष्ट हो और यह विशिष्टता इस स्तर की हो कि उसे अपनी विकास क्षमता की उच्चतम सीमा तक पहुँचने के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता हो, असाधारण या विशिष्ट बालक कहलाता है।
  5. हैरी बाकर के अनुसार :- असाधारण बालक वे हैं जो शारीरिक, मानसिक, सांवेगिक और सामाजिक दृष्टि से सामान्य गुणों से इस सीमा तक विचलित होते हैं कि उन्हें अपनी अधिकतम क्षमता के अनुसार स्वयं का विकास करने के लिए विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता होती है।

विशिष्ट बालकों के प्रकार Types of special child 

विशिष्ट बालक या आसाधारण बालक Special Child विशेषताओं के आधार पर विभिन्न प्रकार के होते हैं और उनमें अपनी अपनी क्षमताएँ अपनी अपनी कार्यशैलियाँ पाई जाती है इसलिए विशिष्ट बालकों के प्रकार को हम निम्न प्रकार से समझते हैं:- 

  1. शारीरिक बाधाओं से ग्रसित या विकलांग बालक:- शारीरिक रूप से विकलांग बालक बे बालक होते हैं जिनमें शरीर से संबंधित विभिन्न प्रकार के दोष उत्पन्न हो जाते हैं, यह दोष या तो उन्हें जन्म से या फिर जन्म के पश्चात किसी भी घटना के कारण प्राप्त हो सकते हैं। इस वर्ग में विशिष्ट बालकों में अपंग बालक गंभीर रूप से दृष्टि बाधित बालक अंधे बालक गंभीर रूप से श्रवण बाधित बालक बहरे बालक आंशिक रूप से बहरे दृष्टिबाधित बालक आते है। 
  2. मानसिक रूप से विकलांग बालक:- असाधारण या विशिष्ट बालकों के इस वर्ग में वे सभी बालक पिछड़े बालक सम्मिलित होते हैं, जो मानसिक रूप से बिल्कुल पिछड़े हुए हैं और उनकी मानसिक शक्ति सामान्य बालकों के समान नहीं होती है, अर्थात उनकी बुद्धि लब्धि सामान्य बालकों से बहुत कम होती है और इसीलिए इनको मानसिक मंद बालक या फिर मानसिक रूप से विकलांग बालक कहा जाता है। 
  3. प्रतिभाशाली बालक:- प्रतिभाशाली बालक वे बालक होते हैं, जिनकी बुद्धि लब्धि सामान्य बालकों से भी उच्च होती है. यह बालक अन्य बालकों की तुलना में किसी भी समस्या को कम से कम समय में सुलझाने और बड़ी से बड़ी समस्या को चुनौती पूर्ण रूप से हल करने की बुद्धि रखते हैं।
  4. सामाजिक बाधाओं से ग्रसित बालक :- विभिन्न प्रकार के वातावरण को प्राप्त करके बालकों में कुछ ऐसी विशेषताएँ भी अर्जित हो जाती है, जो समाज में ही प्राप्त होती हैं और समाज के लिए ही घातक सिद्ध होती हैं। इस श्रेणी में प्रमुख रूप से अपराधी बालकों को रखा गया है यह अपराधी बालक समाज से ही विभिन्न प्रकार की बुरी विशेषताओं को अर्जित कर लेते हैं और फिर समाज के लिए ही अभिशाप बनने लगते हैं।
  5. बहु बाधाओं से ग्रसित बालक :- यह जरूरी नहीं होता है, कि असाधारण या विशिष्ट बालक केवल एक ही विशेषता के द्वारा विशिष्ट होते हो, इस प्रकार के विशिष्ट बालक भी कई प्रकार से देखने को मिलते हैं जो एक से अधिक विशेषताओं को लिए हुए रहते हैं अर्थात ऐसे बालक भी होते हैं, जिनमें 1 से अधिक विशेषताएँ होती हैं, इसीलिए इस प्रकार के बालकों को बहू बाधाओं से ग्रसित बालक कहा जाता है। इस प्रकार के विशिष्ट बालकों को बहु बधाओं से ग्रसित विशिष्ट बालक कहते हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में बालकों को केवल एक ही प्रकार की बाधाओं के आधार पर वर्गीकृत करना सही नहीं होता है।

विशिष्ट बालकों की विशेषताएँ Characteristics of special children

विशिष्ट बालकों की विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं-

  1. विशिष्ट बालकों के गुण तथा स्वरूप बुद्धिलब्धि सामान्य बालकों से अलग होती हैं।
  2. विशिष्ट बालक हमेशा ही शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावात्मक रूप में एक दूसरे से हमेशा भिन्न होते हैं।
  3. विशिष्ट बालकों को सोचने समझने विचार करने की शक्ति अन्य बालकों से भिन्न होती है।
  4. एक विशिष्ट बालक की अधिकतम सामर्थ्य के विकास के लिए उसे विद्यालय की कार्य-प्रणाली तथा उसके साथ किये जाने वाले व्यवहार में परिवर्तन की आवश्यकता होती है।
  5. विशिष्ट बालकों का विकास सामान्य बालकों की अपेक्षा तीव्र गति से होता है।
  6. विशिष्ठ बालक किसी ना किसी मुख्य विशेषता के कारण पहचाने जाते है।

दोस्तों आपने यहाँ विशिष्ट बालक का अर्थ परिभाषा तथा विशेषताएँ (Meaning definition and characteristics of a special child) आदि को पढ़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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