बाल विकास का अर्थ Meaning of Child Development
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख बाल विकास का अर्थ और आवश्यकता (Meaning of Child Development) में। दोस्तों यहाँ पर आप बाल विकास का अर्थ, बाल विकास की आवश्यकता आदि के बारे में जान पायेंगे, तो आइये शुरू करते है यह लेख बाल विकास का अर्थ और आवश्यकता:-
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बाल विकास का अर्थ Meaning of child Development
बाल विकास का मतलब उस स्थिति से है, जिसमें हम बालकों के सभी प्रकार के विकास से बात करते हैं। साधारण तरीके से हम कह सकते हैं, कि जब हम बालक के सभी पहलुओं के विकास की बात करते हैं तो उसको बाल विकास कहा जाता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार बताया जाता है, कि बालक की गर्भावस्था से लेकर उसकी मृत्युपर्यंत तक जो भी उसके स्वभाव में परिवर्तन होते हैं उनका अध्ययन बाल विकास के अंतर्गत आता है। बाल विकास को अच्छी तरह से समझने के लिए बाल विकास का अर्थ निम्न मनोवैज्ञानिकों ने अपने अनुसार दिया है:-
- हरलॉक के अनुसार :- हरलॉक महोदय कहते हैं, कि बाल मनोविज्ञान का नाम बाल विकास रख दिया गया, क्योंकि अब यह बालक के विकास अर्थात एक पहलू से संबंधित नहीं है इसके अंतर्गत बाल विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- क्रो एंड क्रो के अनुसार:- क्रो एंड क्रो महोदय जी कहते हैं, कि बाल विकास एक ऐसा विज्ञान है, जिसके अंतर्गत बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से लेकर मृत्यु पर्यंत तक किया जाता है।
- डार्विन महोदय के अनुसार :- डार्विन महोदय कहते हैं, कि बाल विकास व्यवहारों का विज्ञान होता है, जिसके अंतर्गत बालक के व्यवहार का अध्ययन गर्भावस्था से लेकर मृत्युपर्यंत तक किया जाता है।
इस प्रकार से हम स्पष्ट कर सकते हैं, कि बाल विकास बाल मनोविज्ञान की ही शाखा है, जिसके अंतर्गत बालकों के विकास उनका व्यवहार को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक आदि का अध्ययन किया जाता है। बाल मनोविज्ञान तथा बाल विकास में बहुत ही कम अंतर होता है, बाल मनोविज्ञान बालक की क्षमताओं का अध्ययन करता है, जबकि बाल विकास क्षमताओं के विकास की दशा का अध्ययन करता है। बाल मनोविज्ञान का उद्देश्य बाल विकास के एक पक्ष से होता है, बल्कि बाल स्वभाव को समझना ही होता है, जिस प्रकार से बालक के भीतर कौन-कौन सी क्षमताएँ उपस्थित हैं। उन बालकों के विभिन्न स्तर पर व्यवहार कैसा है? उनकी स्मरण शक्ति किस प्रकार की है? काल्पनिक शक्ति किस प्रकार की हैं? आदि का अध्ययन इसी के अंतर्गत होता है।
बाल विकास की आवश्यकता Needs of Child Development
यह एक बहुत ही सोचनीय और चिंतनीय विषय है, कि बाल विकास की आवश्यकता क्यों है? और यह एक गंभीर विषय भी माना जाता है, क्योंकि इसका सबसे अधिक महत्व शिक्षकों के लिए और शिक्षण पद्धति में होता है और इसका सबसे खास तत्व यह है, कि बाल मनोविज्ञान का अध्ययन सबसे पहले शिक्षक करता है।शिक्षक बाल मनोविज्ञान का अध्ययन इसलिए करता है, कि उसको ज्ञात हो सके, कि वह जिसके लिए अध्ययन अध्यापन कार्य कराएगा वह उस अध्ययन को कितना ग्रहण कर सकेगा और अपने आपका विकास किस प्रकार से कर सकेगा। यहाँ पर कुछ बिंदुओं के आधार पर हम समझते हैं, कि बाल विकास की आवश्यकता किसलिए है और अध्ययन अध्यापन में शिक्षकों की भूमिका किस प्रकार से बाल विकास के संदर्भ में होती है:-
- बालक की मनोरचना की जानकारी :- यह पूरी तरीके से सत्य है, कि इस जगत में सभी प्राणी एक समान नहीं है उनके मस्तिष्क की संरचना अर्थात मनोरचना अलग-अलग और भिन्न-भिन्न होती है और अध्यापकों को एक ही कक्षा में भिन्न-भिन्न मनोरचना वाले बालकों को एक साथ पढ़ाना पड़ता है, इसीलिए इस स्थान पर बाल मनोविज्ञान का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। बाल मनोविज्ञान का अध्ययन करके शिक्षक यह ज्ञात कर पाता है, कि कक्षा के सभी बालक बालिकाओं को एक साथ पढ़ने के लिए कौनसी विधि उपयुक्त होगी, ताकि वह उस अध्ययन कार्य को सामाग्री आसानी से ग्रहण कर सकें।
- बाल विकास प्रक्रिया को समझने में आवश्यक:- प्रत्येक बालक का विकास अपने अनुसार विभिन्न नियमों और सिद्धांतों के द्वारा होता रहता है। प्रत्येक बालको का विकास व्यक्तिगत रूप से होता है, तथा विशिष्ट व्यवहार करता है और अपनी क्षमताओं को ग्रहण करता जाता है, इसीलिए बाल विकास के अध्ययन के फलस्वरुप हम शिक्षण विकास प्रक्रिया और क्षमताओं का प्रयोग करके बालक के अधिगम और क्षमता अर्जन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
- निर्देशन और परामर्श में सहायक:- बाल मनोविज्ञान के अध्ययन से हमें यह ज्ञात हो जाता है, कि छात्र-छात्राओं की क्षमताएँ कैसी हैं? और वह किस प्रकार की रुचि किस विषय में रखते हैं? इसका ज्ञान हो जाने के फलस्वरुप हम उन छात्र तथा छात्राओं को उनकी रुचियाँ और क्षमताओं के अनुसार अध्यापन कर सकते हैं, जिससे छात्र अपने श्रम तथा समय को बर्बाद नहीं करते हैं और किसी एक विषय में परिपक्व हो जाते हैं।
- बालकों के प्रति भविष्यवाणी:- शिक्षक बाल मनोविज्ञान का अच्छी तरह से अध्ययन करके तथा बालक की क्षमताओं का पता लगाकर बालक के भविष्य की कल्पना कर सकता है, अनुमान लगा सकता है, महान तकनीकी तथा ज्ञान के द्वारा छात्रों को किसी भी दिशा में ना भड़कने तथा उन्हें अपने सही व्यवसाय चयन में आसानी मिल जाती है।
- बाल व्यवहार में नियंत्रण :- बाल मनोविज्ञान बाल व्यवहार में नियंत्रण करने का भी कार्य करता है, क्योंकि कभी-कभी ऐसा भी होता है, कि छात्र ऐसा व्यवहार करता है, जो समाज के लिए अच्छा नहीं होता ऐसी स्थिति में बाल मनोविज्ञान तथा शिक्षक बालक के व्यवहार की दिशा बदलकर उसकी रचनात्मकता बनाते हैं।
- व्यक्तिगत भिन्नता का ज्ञान :- यह पूरी तरीके से सत्य है, कि विश्व भर में कोई भी दो प्राणी एक रूप से सामान नहीं हो सकते चाहे उनके व्यक्तिगत गुण दोष की बात करें या फिर फिजिकल गुण दोष की बात करें। कुछ ना कुछ उनमें भिन्नता अवश्य पाई जाती है और ऐसी स्थिति में बाल मनोविज्ञान का शिक्षा की उनकी भिन्नताओं को जानकर उन्हें उनकी क्षमताओं के अनुसार शिक्षण कौशल योजना बनाकर उनका लाभ पहुंचाने का कार्य करता है।
- कक्षा में अधिगम वातावरण बनाने में:- बाल मनोविज्ञान का अध्ययन करने के पश्चात शिक्षक यह जानने में समर्थ हो जाता है, कि कक्षा में किस समय और क्या पढ़ाया जाना चाहिए? कि सभी छात्र रुचिपूर्वक उसको पढ़ सकें और आत्मसात कर सकें, अर्थात अध्यापन रूचिपूर्ण बनाने के लिए शिक्षक को बाल मनोविज्ञान का अध्ययन करना बहुत आवश्यक होता है और बाल मनोविज्ञान के द्वारा ही शिक्षक पाठ्यवस्तु को तय करता है और बच्चों को अच्छा पढ़ाता है ताकि वह उनको सीख सके।
दोस्तों यहाँ पर आपने बाल विकास का अर्थ और बाल विकास की आवश्यकता (Meaning of Child Development) आदि तथ्य पढ़े, आशा करता हूँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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