टोली शिक्षण के प्रकार तथा विशेषताएँ Type of toli shikshan

टोली शिक्षण के प्रकार Type of toli shikshan 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है आज के हमारे इस लेख टोली शिक्षण क्या है (Toli shikshan kya hai ) में। 

दोस्तों यहां पर आप टोली शिक्षण के प्रकार के साथ ही टोली शिक्षण की विशेषताएँ, टोली शिक्षण के उद्देश्य तथा टोली शिक्षण की परिभाषा के साथ टोली शिक्षण के गुण, टोली शिक्षण के दोष समझ पाएंगे, तो दोस्तों करते हैं शुरू यहां पर हम टोली शिक्षण क्या है:- 

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टोली शिक्षण क्या है

टोली शिक्षण क्या है Toli shikshan kya hai 

जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है, टोली शिक्षण अर्थात एक ऐसा शिक्षण जो सामूहिक रूप से शिक्षकों के द्वारा एक साथ मिलकर छात्र तथा छात्राओं को दिया जाता है अर्थात हम कह सकते हैं, कि टोली शिक्षण एक नवाचार है, जिसमें कई शिक्षक एक साथ मिलकर शिक्षण सामग्रियों का समायोजन करते हैं और उन शिक्षण सामग्रियों के द्वारा छात्रों को तथा छात्राओं को एक साथ शिक्षित करने का प्रयास करते हैं। 

टोली शिक्षण सबसे पहले लगभग 30 वर्ष पहले अमेरिका में शुरू हुई थी, जिसकी सफलता उच्च शिक्षा में देखने के फलस्वरुप इसका उपयोग कई महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में शुरू हो गया। भारत में भी इसका उपयोग होता है, इसको हम दल शिक्षण व्यवस्था के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि इसमें शिक्षक को केवल शिक्षण के लिए ही जवाबदार नहीं बनाया जाता, बल्कि शिक्षण के कार्यों जैसे कि नियोजन, संचालन,  

मूल्यांकन, व्यावहारिक रूप, चिकित्सक शिक्षण आदि की भी जिम्मेदारी शिक्षकों को सौंप जाती है, अर्थात कह सकते हैं, कि कक्षा शिक्षकों की परिस्थितियों के विकास के लिए दल प्रशिक्षण का उपयोग किया जाता है। प्रत्येक शिक्षक अपने कुशल व्यक्तित्व अनुभव तथा विशेष योग्यता का प्रयोग करता है तथा छात्र तथा छात्राओं को प्रशिक्षित करने का प्रयास करता है।

दल शिक्षण की परिभाषा Definition of Toli Shikshan 

  1. कार्लो ऑर्सन :- महोदय के अनुसार अनुदेशात्मक स्थिति जहां पर दो या दो से अधिक शिक्षक कौशलों से युक्त एक दूसरे के सहयोग से योजना बनाते हैं और विद्यार्थियों के एक ही समूह पर इनको लागू करते हैं और विशिष्ट प्रकार के अनुदेशन के लिए लचीली सामूहीकरण प्रविधि का प्रयोग करते हैं।
  2. डेविड वारविक :- महोदय के अनुसार टोली शिक्षण संगठन का एक स्वरूप होता है, जिसमें कई शिक्षक अपने साधनों रुचियां तथा क्षमताओं को इकट्ठा करते हैं तथा विद्यार्थियों की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षकों की एक टोली द्वारा उन्हें प्रस्तुत किया जाता है और स्कूल की सुविधाओं के अनुसार उपयोग किया जाता है।
  3. एसके अग्रवाल :- महोदय के अनुसार एक ऐसी व्यवस्था जिसमें दो या दो से ज्यादा अध्यापक सहायक सामग्री के साथ या उसके बिना मिलकर योजना बनाते हैं, एक या एक से ज्यादा कक्षा समूहों को उपयुक्त अनुदेशात्मक स्थान और अवधि के अनुसार निर्देश देते हैं और मूल्यांकन करते हैं, ताकि टोली के सदस्यों की विशिष्ट योग्यताओं का लाभ उठाया जा सके।

टोली शिक्षक के उद्देश्य Objective of Toli Shikshan 

  1. शिक्षक वर्ग में आकर्षक योग्यताओं दक्षताओं और उनकी रुचियां का सर्वोत्तम उपयोग करना टोली शिक्षक का प्रमुख उद्देश्य होता है।
  2. विद्यार्थियों की रुचि और क्षमताओं के अनुसार कक्षा शिक्षण को प्रभावशाली बनना इसका मुख्य लक्ष्य है। 
  3. विद्यार्थियों के सामूहिकरण में लचीलेपन को बढ़ावा देना तथा गुणवत्ता में सुधार लाना इसका उद्देश्य है।
  4. टोली शिक्षा का मुख्य उद्देश्य  शिक्षण अधिगम प्रभावशाली बनाना होता है।

टोली शिक्षक के प्रकार Type of Toli Shikshan 

  1. एक ही विभाग के शिक्षकों की टोली :- इस प्रकार के वर्गीकरण के अंतर्गत एक ही विभाग के शिक्षकों को लिया जाता है। इस प्रकार की व्यवस्था में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं के लिए व्यवस्था बनाई जाती है और ऐसा तब संभव होता है, जब एक ही विषय के एक से अधिक शिक्षक उपस्थित होते हैं, अर्थात कह सकते हैं, एक ही विषय के एक से अधिक शिक्षकों की व्यवस्था में जब छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षित किया जाता है तो उसको एक ही विभाग की शिक्षकों की टोली व्यवस्था कहते हैं।
  2. एक ही संस्था के विभिन्न विभागों के शिक्षकों की टोली:- इस टोली का प्रयोग अर्थात इसमें कई प्रकार के विभागों के शिक्षकों की टोली बनाई जाती है, जैसे कि मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र आदि सभी के शिक्षकों की टोली बनाई जाती है और उसके बाद प्रशिक्षण कार्य कराया जाता है। उदाहरण के रूप में बीएड का प्रशिक्षण B.Ed के प्रशिक्षक की व्यवस्था से जुड़ी सुगमता से किया जा सकती है इस प्रकार की टोली शिक्षा द्वारा अंतः अनुशासन शिक्षण को प्रोत्साहन मिलता है।
  3. विभिन्न संस्थाओं के एक ही विभाग के शिक्षकों की टोली:- इस व्यवस्था में कई संस्थाओं के विशेषज्ञ एक ही विभाग के विशेषज्ञ आते हैं और उनकी एक टोली व्यवस्था बनाई जाती है। टोली व्यवस्था का प्रयोग वहां पर बहुत लाभदायक होता है, जहां पर एक विषय का एक ही शिक्षक होता है। इस प्रकार के टोली शिक्षण से सहकारी शिक्षण को बढ़ावा मिलता है और टोली शिक्षण का प्रभावशाली उपयोग और अधिक लचीला जब हो जाता है तब एक ही शहर में एक से अधिक प्रशिक्षण संस्थाएं प्रचलित हो रही हो।

टोली शिक्षक की विशेषताएँ Features of Toli Shikshan 

  1. यह एक लचीली प्रक्रिया होती है, जिसमें कई प्रकार के शिक्षकों का उपयोग किया जाता है, जिनका स्वभाव बोलचाल की भाषा तथा समझाने का अलग ही अंदाज होता है, अर्थात इस प्रक्रिया के द्वारा हर एक छत्र तथा छात्रा प्रशिक्षित हो जाती है।
  2. यह शिक्षण विधि सहकारिता पर आधारित मानी जाती है, इसमें भाग लेने वाले शिक्षक अपने-अपने साधनों योग्यताओं तथा अनुभवों को इकट्ठा करने का प्रयास करते हैं और फिर उनके द्वारा शिक्षण होता है।
  3. इसमें लगे शिक्षक शिक्षक की योजना मिलकर बनाते हैं तथा उसे लागू भी मिलकर ही करते हैं। मूल्यांकन कार्य भी मिलकर ही होता है, अर्थात सामूहीकरण इसमें प्रमुख व्यवस्था होती है।
  4. इसमें स्कूल तथा विद्यार्थियों की आवश्यकताओं तथा उपलब्ध साधनों को ध्यान में रखकर योजनाएँ बनाई जाती हैं और प्रशिक्षण कार्य किया जाता है।
  5. इसमें शिक्षकों का उत्तरदायित्व एक ही शिक्षक का न होकर संपूर्ण टोली के शिक्षकों का होता है।
दोस्तों यहाँ पर आपने टोली शिक्षण क्या है, दल शिक्षण क्या है, टोली शिक्षण के प्रकार तथा विशेषताएँ (Toli shikshan kya hai) आदि कई महत्वपूर्ण तथ्यों को पढ़ा। आशा करता हुँ आपको लेख अच्छा लगा होगा।

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