व्याख्यान विधि के जनक कौन है Father of lecture Method

व्याख्यान विधि के जनक कौन है Father of lecture Method

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख व्याख्यान विधि के जनक कौन है (Father of lecture method) में। दोस्तों इस लेख में आप व्याख्यान विधि क्या है?

व्याख्यान विधि की परिभाषा, व्याख्यान विधि के गुण तथा दोष व्याख्यान विधि के जनक कौन है? के साथ अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों को जानेंगे तो आइये दोस्तों करते है शुरू यह लेख व्याख्यान विधि के गुण व दोष:-

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व्याख्यान विधि के जनक कौन है

व्याख्यान विधि क्या है what is the lecture method

व्याख्यान विधि एक सर्वाधिक प्राचीन शिक्षण विधि Teaching Methods है, जिसे अभी भी शिक्षण में प्रयोग में लाया जाता है। इस विधि को प्रवचन, कथन, संवाद chalk and talk तथा अंग्रेजी में lecture Method के नाम से भी जाना जाता है।

व्याख्यान विधि एक ऐसी विधि है, जो शिक्षक केंद्रित होती है, क्योंकि इस विधि में शिक्षक (वक्ता) की सक्रिय (Active Role) भूमिका निभाता है तथा विद्यार्थी श्रोता की निष्क्रिय भूमिका में रहता है।

इस विधि का प्रचलन उस समय से है, जब वैदिक काल (Vaidik Age) में शिक्षा दी जाती थी तब उस समय व्याख्यान विधि का ही प्रयोग किया जाता था।

क्योंकि वैदिक काल में किसी भी प्रकार की पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध नहीं थी तथा, जो कुछ पाठ्यपुस्तके होती थी वह आसानी से अध्यापकों (Teachers) को उपलब्ध भी नहीं हो पाती थी।

इसलिए अध्यापक अपने तरीके से नियमपूर्वक कक्षा के समक्ष पाठक विषय को व्याख्यान के द्वारा प्रस्तुत करता था। अध्यापक अपने पाठ्य विषय को छात्रों के सामने युक्तिसंगत और तर्कपूर्ण शैली में

इस प्रकार से प्रस्तुत करता था, कि अध्यापक एक वक्ता और विद्यार्थी श्रोता होते है। व्याख्यान विधि में अध्यापक अपने अनुभव के द्वारा छात्रों की योग्यता और उनके पूर्व ज्ञान का निर्धारण करते है,

जिसके अनुसार वे अपने विषय का प्रस्तुतीकरण करते है और विद्यार्थियों को उस विषय के बारे में बताते है। व्याख्यान विधि में विद्यार्थी शांतिपूर्वक पूरे एकाग्रता से अध्यापक की बात सुनते है

और समझने की कोशिश किया करते है। इस विधि में किसी भी प्रकार की असावधानी नहीं की जाती है। वर्तमान समय में सभी प्रकार की पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध हैं, फिर भी व्याख्यान विधि अभी भी प्रचलित है।

कियोकि उच्च कक्षाओं के लिए यह सबसे उपयुक्त विधि है, इसलिए कॉलेजों की कई कक्षाओं में व्याख्यान विधि का उपयोग किया जाता है। मिडिल (Middle) तथा हाई स्कूल (High School) के छात्रों के लिए भी व्याख्यान विधि का उपयोग होता है

किंतु जीव विज्ञान (Biology) के छात्रों के लिए तथा छोटी क्लास के विधार्थियों के लिए भी यह विधि उपयुक्त नहीं है, क्योंकि व्याख्यान विधि ऐसी विधि है,

जिसमें अध्यापक विषय वस्तु को विस्तार से समझाता है और विद्यार्थी निष्क्रिय श्रोता होता है, किन्तु विद्यार्थी को ध्यानपूर्वक अध्यापक द्वारा पढ़ाए जा रहे विषय (Subject) को सुनना पड़ता है।

इसलिए व्याख्यान विधि छोटे बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि छोटे बच्चों में एकाग्रचितता और समझने की शक्ति कम होती है। व्याख्यान विधि में कुछ शिक्षक इसप्रकार से पारंगत हो जाते हैं,

कि वे व्याख्यान देते समय इस प्रकार की रोचक और आकर्षक शैली का प्रयोग करते हैं, कि विद्यार्थी उनके प्रति आकर्षित होते चले जाते हैं और विधार्थियो की एकाग्रता तथा जिज्ञासा बढ़ने लगती है।

भाषा की मधुरता, उच्चारण की स्पष्टता, भाषा प्रभावशाली और विषय का आकर्षण आदि व्याख्यान विधि को अधिक प्रभावशाली बनाते हैं।

व्याख्यान विधि की परिभाषा Definition of lecture method

शिक्षण के क्षेत्र में वह विधि जिसमें अध्यापक सक्रिय वक्ता (Active Speaker) तथा विद्यार्थी निष्क्रिय श्रोता (Inactive Listener) होता है और उनके बीच कोई भी सामंजस्य ना हो

शिक्षण के क्षेत्र में वह विधि, जो शिक्षक केंद्रित (Teacher Centrilised) हो तथा विषय वस्तु का विस्तार करके विद्यार्थी के सामने प्रस्तुत करना जिसमें अध्यापक सक्रिय और विद्यार्थी निष्क्रिय होता है। 

व्याख्यान विधि के जनक Father of lecture method

व्याख्यान विधि एक ऐसी विधि है, जो प्राचीन काल से ही अर्थात वैदिक काल से ही शिक्षा के क्षेत्र में प्रचलन में आ रही है, जो उच्च कक्षाओं (Higher education) के विद्यार्थियों के लिए

अधिक उपयुक्त भी मानी जाती है। व्याख्यान विधि के जनक महान सुकरात (Socrates) को माना जाता है, जो एक महान दार्शनिक तथा यूनान के निवासी थे।

इसलिए व्याख्यान विधि का प्रवर्तक यूनानियों को माना जाता है। व्याख्यान विधि मध्यकाल में सर्वाधिक विकसित हुई तथा इसका सबसे

अधिक उपयोग यूरोप में किया गया। सुकरात ने व्याख्यान विधि के अलावा भी अन्य विधि दी हैं, जिनमें प्रश्नोत्तर विधि सर्वाधिक प्रचलित और प्रसिद्ध विधि है। 

व्याख्यान विधि के सोपान Steps of lecture Method

व्याख्यान विधि के प्रतिपादक यूनानवासी हैं, जिसमें 6 सोपान सम्मिलित किए गए हैं।

  1. योजना बनाना - योजना बनाना (Plan Making) व्याख्यान विधि का प्रथम सोपान है, इस सोपान में शिक्षक अपने विषय वस्तु की तैयारी करता है, आवश्यक उपकरणों को एकठ्ठा करता है और तैयार किए गए विषय वस्तु का पूर्व प्रयोग करता है।
  2. प्रस्तुतीकरण - व्याख्यान विधि का दूसरा सोपान प्रस्तुतीकरण होता है, प्रस्तुतीकरण में शिक्षक स्वयं के द्वारा तैयार की गई विषय वस्तु को छात्रों के सामने उनके अनुभव और पूर्व ज्ञान के आधार पर प्रस्तुत करता है।
  3. तत्वों की व्याख्या :- अब यहाँ पर तत्वों की व्याख्या की जाती है।
  4. प्रयोग का प्रदर्शन :- इस चरण मे प्रयोग का प्रदर्शन होता है।
  5. श्यामपट्ट कार्य:- यहाँ पर श्यामपट्ट कार्य दिया जाता है।
  6. मूल्यांकन - मूल्यांकन व्याख्यान विधि का अंतिम सोपान है, जिसमें शिक्षक मूल्यांकन करता है कि उसके द्वारा दिए गए ज्ञान से कितने शिक्षार्थी शिक्षित हुए है। 

व्याख्यान विधि के गुण Properties of Lecture Method

  1. व्याख्यान विधि एक अति सरल और व्यापक विधि है, जिसमें कोई भी अध्यापक अपने पाठक विषय की पूरी तैयारी करते हैं और तर्कसंगत तथा प्रभावपूर्ण तरीके से उस विषय को छात्रों के सामने प्रदर्शित करते हैं और छात्र भी पूरे मनोयोग से उस विषय को सुनते हैं।
  2. व्याख्यान विधि के द्वारा एक समय में एक से अधिक बालकों को एक विषय का ज्ञान दिया जा सकता है। इस विधि में रचनाओं की भिन्नता और बुद्धि स्तरों की विविधताओं के होने पर भी सामान्य प्रभाव होने की संभावना बनी रहती है।
  3. यह एक ऐसी विधि है, जिसमें अधिक खर्च, समय और श्रम की भी बचत होती है। छात्रों को एक साथ बैठकर तर्कसंगत, क्रमबद्ध तथा प्रभावपूर्ण तरीके से ज्ञान की उपलब्धि भी हो जाती है और अध्यापक भी थोड़े समय में बहुत कुछ पढ़ा देता है।
  4. व्याख्यान विधि में थोड़ी सी दूरदर्शिता एवं विधि संशोधन द्वारा व्याख्यान में कक्षा के बालकों के स्तर के अनुकूल विषय सामग्री दी जा सकती है। विभिन्न वैज्ञानिकों एवं आविष्कारों के जीवन की रोचक घटनाओं का वर्णन करके विषय के प्रति बालकों में अभिवृद्धि और जिज्ञासा उत्पन्न भी की जा सकती है। 
  5. व्याख्यान विधि सबसे अधिक प्रभावपूर्ण और प्रभावशाली उच्च कक्षाओं में होती है, कियोकि उच्च कक्षाओं के छात्रों में एकाग्रता तथा सोचने समझने की शक्ति अधिक विकसित हो जाती है।
  6. व्याख्यान विधि के अंतर्गत अध्यापक अपनी योग्यता की क्षाप में अंकित कर सकता है और छात्रों को ऐसी उपलब्धियाँ प्राप्त करने के लिए प्रेरित भी कर सकता है।
  7. पढ़ाए गए विषय पर आधारित प्रश्न उत्तरों के माध्यम से व्याख्यान विधि की जाँच और छात्रों द्वारा तैयार किए गए विषय ज्ञान के स्तर से अल्प समय में भी शिक्षार्थियों का मूल्यांकन हो जाता है। 

व्याख्यान विधि के दोष Disadvantages of lecture method

  1. व्याख्यान विधि का दोष है, कि इसमें विषय ज्ञान को विभाजित करना संभव नहीं होता क्योंकि सभी बालक एक ही बुद्धि स्तर के नहीं होते हैं।
  2. व्याख्यान विधि में यह ज्ञात नहीं हो पाता, कि अध्यापक द्वारा दिए जा रहे ज्ञान को विद्यार्थी कितना समझ पा रहे हैं, विद्यार्थियों की रुचि उस विषय के प्रति है या नहीं।
  3. इस विधि में छात्र हमेशा निष्क्रिय श्रोता होते हैं और अध्यापक वक्ता होते हैं, अर्थात दोनों का कार्यक्षेत्र अलग है, इन दोनों के बीच किसी भी प्रकार का सामंजस्य नहीं होता।
  4. व्याख्यान विधि जीव विज्ञान के छात्र-छात्राओं के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि जीव विज्ञान में तर्क,  निरीक्षण को विशेष महत्व दिया जाता है और इस विधि में दोनों गुणों का अभाव होता है। इसलिए जीव विज्ञान के शिक्षण में व्याख्यान विधि अनुपयुक्त है।
  5. व्याख्यान विधि मनोवैज्ञानिक विधि नहीं है, क्योंकि इस विधि में छात्र हमेशा निष्क्रिय श्रोता होता होते हैं। छात्रों की क्रियाशीलता और उनकी रूचि का भी ज्ञान नहीं हो पाता है।
  6. इस विधि के द्वारा शिक्षक थोड़े से समय में अधिक से अधिक ज्ञान देने का प्रयास करता है, जबकि बच्चों से यह आशा भी नहीं की जाती कि इतनी देर तक वे बताए गए तथ्यों को आत्मसात कर भी पा रहे हैं, उनको समझ भी पा रहे हैं या नहीं समझ पा रहे हैं।
  7. व्याख्यान विधि में कभी- कभी शिक्षक अपनी योग्यता को प्रदर्शित करने के लिए लच्छेदार भाषा का उपयोग करने लगते हैं और ऐसा होने पर विषय की अपेक्षा शैली को अधिक महत्व मिलता है किंतु यह सब विज्ञान शिक्षण में उपयुक्त नहीं हो सकती। 

व्याख्यान विधि की विशेषताएँ Features of Lecture Method

  1. व्याख्यान विधि में पाठ्य पुस्तक को सीधी साधी सरल भाषा में तथा विस्तार पूर्वक छात्रों के सामने प्रस्तुत किया जाता है।
  2. इस विधि में छात्रों के मानसिक स्तर के आधार पर अनुकूल भाषा का उपयोग किया जाता है।
  3. इस विधि के द्वारा एक समय में एक से अधिक छात्रों को शिक्षित किया जा सकता है।
  4. व्याख्यान विधि एक परंपरागत शिक्षण विधि है, जिसका उपयोग प्राचीन काल (Ancient Time) से ही होता आ रहा है।

दोस्तों इस लेख में आपने व्याख्यान विधि क्या है? (What is lecture Method) व्याख्यान विधि के गुण दोष व्याख्यान विधि के जनक के कौन है? साथ अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जाना। आशा करता हूँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा

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