सार्जेन्ट योजना 1944 Sargent yojana 1944

सार्जेन्ट योजना 1944 Sargent yojana 1944

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत बहुत स्वागत है इस लेख सार्जेंट योजना की सिफारिशे (सार्जेन्ट योजना 1944 sargent yojana 1944) में। 

दोस्तों इस लेख द्वारा आज आप सार्जेंट योजना क्या है? सार्जेंट योजना की सिफारिशें तथा गुण दोष के साथ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य जानेंगे तो आइये शुरू करते है, यह लेख सार्जेंट योजना की सिफारिशे :- 

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सार्जेंट योजना की सिफारिशे,


सार्जेंट योजना क्या है What is sargent yojana

भारत देश के आजाद होते ही शिक्षा के क्षेत्र में काफी सुधार हुए कई योजनाएँ आयोग बनाये गए जिसमें 

सार्जेंट योजना 1944 भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है, जिसे औपचारिक रूप से भारत में युद्धोत्तर शिक्षा विकास पर सार्जेंट आयोग की रिपोर्ट के रूप में जाना जाता है। सार्जेन्ट योजना 1944 का एक ज्ञापन था, जिसे ब्रिटिश-संचालित भारत सरकार के आदेश पर तैयार किया गया था, जिसमें भारत देश की साक्षरता और शिक्षा के भविष्य के विकास की रूपरेखा तैयार की गई थी।

सार्जेंट योजना 1944 की सिफारिशे Sargent yojana ki sifarishen 

पूर्व प्राथमिक शिक्षा :- सार्जेंट योजना के अंतर्गत पूर्व प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी अर्थात पूर्व प्राथमिक शिक्षा 3 से 6 वर्ष तक के आयु के बच्चों के लिए होगी, शिक्षण संस्थानों में समुचित शिक्षण उपकरण भी होंगे और व्यवस्था भी अच्छी होगी जहां पर बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जाएगी।

बेसिक शिक्षा:- बेसिक शिक्षा 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बालक तथा बालिकाओं के लिए प्रदान की जाएगी, जो पूरी तरीके से निशुल्क और अनिवार्य होगी। बेसिक शिक्षा को दो भागों में भी विभाजित किया जा सकता है जैसे की प्रथम जूनियर बेसिक और दूसरी सीनियर बेसिक जूनियर बेसिक स्कूलों में अंग्रेजी की शिक्षा का कोई भी स्थान नहीं होगा, जबकि सीनियर बेसिक स्कूलों में अंतिम निर्णय का उत्तरदायित्व प्रांतीय शिक्षा विभाग को सौंप दिया जाना चाहिए, आंतरिक परीक्षा की व्यवस्था पर भी विशेष बल दिया जाना चाहिए।

हाई स्कूल शिक्षा:- हाई स्कूल की शिक्षा व्यवस्था के लिए बच्चों की आयु 11 वर्ष से 17 वर्ष के बीच में निश्चित की गई है। अगर जो बालक 11 वर्ष से नीचे है उसको हाई स्कूल की शिक्षा में प्रवेश नहीं मिलेगा जबकि हाई स्कूल में 50% बालक निशुल्क शिक्षा प्राप्त करेंगे, तथा 50% बालको से शुल्क लिया जाएगा, जो बालक गरीब है उनको छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जाएगी, जबकि हाई स्कूल में बच्चों की मातृभाषा में शिक्षा का माध्यम होगा। आयोग ने दो प्रकार की हाई स्कूल का उल्लेख किया है, ड्राइंग  संबंधी विषय बुक कीपिंग शॉर्ट हैंड टाइप राइटिंग अकाउंटेंसी व्यापार आदि शिक्षा की व्यवस्था होगी लड़कियों के लिए अलग से गृह विज्ञान विषय पढ़ने की भी सुविधा होगी।

विश्वविद्यालय शिक्षा :- सार्जेंट रिपोर्ट के अनुसार  इंटरमीडिएट कक्षा मतलब की कक्षा 12वीं विश्वविद्यालय कक्षा में मिलाने की, जबकि कक्षा 11 वीं हाई स्कूल में मिलाने की कोशिश की गई, जबकि विश्वविद्यालय में प्रवेश के नियम भी बड़े कठोर बनाए जाएंगे यह नियम इतने कठोर होंगे की 14 छात्रों में से केवल एक छात्र विश्वविद्यालय में प्रवेश ले पाएगा और विश्वविद्यालय में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति होगी।

प्राविधिक वाणिज्य तथा कला विषय:- इस रिपोर्ट के अनुसार बताया गया, कि जो प्राविधिक वाणिज्य तथा कला के लिए पूर्ण कालिक और अंशकालिक विद्यालयों की स्थापना होगी। इस रिपोर्ट के अनुसार भारतीय उद्योगों के लिए चार प्रकार के कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होगी जैसे कि :- 

  1. इस श्रेणी में वे व्यक्ति आएंगे जो विश्वविद्यालय के औद्योगिक विभाग में प्रवेश लेकर शिक्षा प्राप्त करेंगे।
  2. इस श्रेणी के अंतर्गत उन कार्यकर्ताओं को सम्मिलित किया जाएगा जो टेक्निकल हाई स्कूल में शिक्षा प्राप्त किए होंगे।
  3. इस श्रेणी के अंतर्गत कुशल शिल्पकारों को रखा गया है, इसमें उन बालकों का प्रवेश होगा जो टेक्निकल हाई स्कूल परीक्षा पास कर चुके हैं।
  4. इस श्रेणी के अंतर्गत मुख्य रूप से कारीगर होते हैं, जिन्होंने सीनियर बेसिक मिडिल स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर ली हो।

प्रौढ़ शिक्षा:- सार्जेंट योजना के अंतर्गत यह भी सिफारिश की गई की प्रौढ़ शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। रिपोर्ट ने लोगो के लिए प्रौढ़ शिक्षा का प्रबंध करना आवश्यक बताया, जो 30 वर्ष की आयु से 40 वर्ष की आयु तक के हैं। रिपोर्ट के अनुसार बालक बालिका या पुरुष स्त्रियों के लिए अलग-अलग विद्यालय की स्थापना हो और एक कक्षा में 25 से अधिक व्यस्क नहीं हो।

अध्यापकों का प्रशिक्षण:- सार्जेंट रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर एक बड़े पैमाने पर अध्यापकों के लिए प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण विद्यालय बनाए जाने चाहिए। वर्तमान प्रशिक्षण विद्यालय जो है, उनमें अध्यापकों को प्रशिक्षित करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार यह भी बताया गया, कि अपर्याप्त वेतन के कारण योग्य व्यक्ति शिक्षक व्यवसाय की ओर आकर्षित नहीं होते हैं इसलिए शिक्षकों को आकर्षित करने के लिए वेतनमान भत्ते बढ़ाये जाने चाहिए।

छात्रों का स्वास्थ्य:- रिपोर्ट के अनुसार यह भी सिफारिश की गई थी, कि बालकों के स्वास्थ्य की देखभाल की व्यवस्था भी होनी चाहिए तथा 6, 11, 14 की आयु में जो बालक होते हैं, उनका निरीक्षण समय-समय पर होना चाहिए।

विकलांग छात्रों की शिक्षा: इस रिपोर्ट के अनुसार शारीरिक तथा मानसिक रूप से जो भी छात्र-छात्राएं विकलांग हैं, उनकी और ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए ऐसे बालकों के लिए विशिष्ट विद्यालयों की स्थापना होनी चाहिए और उन्हें शिक्षा का पूरा अधिकार प्रदान होना चाहिए।

सेवा योजनालय :- देश में सेवा योजनालय की स्थापना होनी चाहिए, जबकि सीनियर बेसिक जूनियर टेक्निकल तथा हाई स्कूल के छात्रों के व्यवसाय के चयन में सहायता मिलने के लिए प्राथमिकता प्रदान होनी चाहिए।

सार्जेंट रिपोर्ट के गुण Sargent yojana ke gun 

  1. यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली आरंभ करने का प्रथम राजकीय प्रयास के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है जो एक अत्यंत व्यापक योजना थी।
  2. इस योजना ने भारतीय शिक्षा प्रणाली के कई दोषों की ओर संकेत किया और कई दोषों की ओर संकेत नहीं किया उन दोषों में सुधार भी इस योजना के अंतर्गत कराया गया।
  3. सैयदेन के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा की प्रथम व्यापक योजना सार्जेंट योजना ही मानी जाती है, क्योंकि यह योजना शिक्षक व्यवसाय के महत्व को स्पष्ट रूप से स्वीकार करती है तथा निर्धन छात्रों के लिए शिक्षा की पर्याप्त वकालत भी करती है।

सार्जेंट योजना 1944 के दोष Sargent yojana ke dosh 

  1. इस योजना के द्वारा जो मौलिक बात है वह नहीं कही गई है, जबकि इस योजना में व्यय अधिक होता है।
  2. इस योजना में शिक्षा योजना की केवल रूपरेखा तैयार की गई थी, जबकि पूरी तरीके से शिक्षा विकास के पूर्ण कार्यक्रम का वर्णन इसमें नहीं किया गया।
  3. यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली की ओर अपूर्ण रूपरेखा मानी जाती है, क्योंकि इस योजना में इंग्लैंड की शिक्षा प्रणाली का आदर्श उपस्थित दिखाई देता है।

दोस्तों यहाँ पर आपने सार्जेंट योजना की सिफारिशे (सार्जेन्ट योजना 1944 sargent yojana 1944) सार्जेंट योजना के गुण दोष पढ़े, आशा करता हूं आपको लेख अच्छा लगा होगा।

इसे भी पढ़े:- 

  1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 के उद्देश्य National Education Policy 1968
  2. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 National education policy

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