मुस्लिम शिक्षा प्रणाली Muslim shiksha Pranali
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है आज के हमारे इस लेख मुस्लिम शिक्षा प्रणाली (Muslim shiksha Pranali) में।
दोस्तों यहां पर आप जान पाएंगे की मध्यकाल अर्थात सल्तनत काल में किस प्रकार की शिक्षा प्रणाली प्रचलित थी और समय समय किस प्रकार के कैसे पाठ्यक्रम चलाए जाते थे, मुस्लिम शिक्षा pdf, मुस्लिम शिक्षा के उद्देश्य, मुस्लिम शिक्षा की विशेषताएँ तो दोस्तों मिलकर पढ़ते हैं और जानते हैं मुस्लिम शिक्षा प्रणाली।
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मुस्लिम शिक्षा प्रणाली क्या है Muslim shiksha Pranali
वह शिक्षण विधि Teaching Methods या वह शिक्षण प्रक्रिया जिसके अंतर्गत मुस्लिम बालकों को धर्म कर्म तथा जीवन उपयोगी शिक्षा प्रदान की जाती थी उसको मुस्लिम शिक्षा प्रणाली के नाम से जाना जाता था। मुस्लिम शिक्षा प्रणाली सल्तनत काल से लेकर मुगल काल तक निम्न दो प्रकार की रही:-
मकतब क्या है What is Maktab
मध्यकाल अर्थात, जिसको मुस्लिम काल के नाम से भी जाना जाता है, इसमें प्राथमिक शिक्षा के लिए अलग विद्यालय हुआ करते थे, जिनको उस समय मकतब के नाम से जाना जाता था। यह मकतब शब्द अरबी भाषा के कुतुब से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है "उसने लिखा" इसीलिए मकतब शब्द का अर्थ होता है,
कि वह स्थान जहां पर पढ़ना लिखना सिखाया जाता है और यह शिक्षा वहाँ के मौलाना देते हैं। मकतब में शिक्षा प्राप्त करने का मुख्य उद्देश्य होता है, कि बालक कुरान से विशिष्ट अंश को कंठस्थ करें तथा उनको अपने जीवन में प्रयोग में लाएं।
मकतब का पाठ्यक्रम Curriculum of Maktab
मकतब में प्राथमिक शिक्षा प्रदान की जाती थी। मकतब तब से ही बालक की शिक्षा प्रारंभ होती थी, इसीलिए यहां से ही उनको वर्णमाला के अक्षरों का ज्ञान कराया जाता था। अच्छी लेख लिखना, उच्चारण की शुद्धता पर बल देना तथा गणित की शिक्षा के साथ ही लिपि का ज्ञान और कुरान की महत्वपूर्ण आयतें याद कराई जाती थी। इतना सीख लेने के पश्चात बालक को अरबी और फारसी भाषा की भी शिक्षा प्रदान की जाती थी,
उनके नैतिक और चारित्रिक विकास के लिए भी विभिन्न प्रसिद्ध पुस्तक जैसे कि गुलदस्ता और बोस्ता के महत्वपूर्ण भाग पढ़ाये जाते थे, व्यवहारिक शिक्षा के लिए बच्चों को बातचीत का ढंग पत्र लेखन आदि का ज्ञान कराया जाता था, वही राजघराने के शहजादों को अरबी फारसी के साथ ही सैनिक शिक्षा कानून न्याय और धर्म कर्म की शिक्षा भी प्रदान की जाती थी।
मकतब में शिक्षण विधि Teaching Methods
मकतब में मुख्य रूप से मौलिक और प्रथम शिक्षण विधि का उपयोग किया जाता था। यहाँ पर उच्चारण शुद्ध करने के लिए कलमा हटाया जाता था इसके बाद कुरान की आयतें रखवाई जाती थी।
मकतब में सभी विद्यार्थी एक साथ उच्च स्वर में किसी भी चीज को याद किया करते थे, जबकि लिखने के लिए मोटे सरकंडे को कलम से पतली तख्तियां पर अभ्यास कराया जाता था।
मकतब में प्रवेश प्रक्रिया Addmission in Maktab
मकतब में बालकों के प्रवेश की प्रक्रिया भी एक अलग प्रकार की ही होती थी, जिसको एक रस्म के नाम से जाना जाता था और उसका नाम बिस्मिल्लाह था। मकतब में प्रवेश की बिस्मिल्लाह रस्म 4 वर्ष 4 माह और चार दिन के आयु के बच्चे के लिए होती थी उस आयु पर बच्चों को नए कपड़े पहनाए जाते थे
और उसके सामने कुरान की भूमिका और उसका 55वॉ और 87वॉ अध्याय प्रस्तुत किया जाता था। अब मौलवी साहब बालक के सामने कुरान की आयतें पड़ते और बालक इसको दोहराता था यदि बालक इनको ना दोहरा पाए तो बिस्मिल्लाह कह देना ही पर्याप्त होता था। इस रश्म में बालक के सभी रिश्तेदार उपस्थित होते थे।
मदरसा क्या है What is Madarsa
जब बालक मकतब में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त कर लेता था तो उसे उच्च शिक्षा के लिए एक विशेष प्रकार की विद्यालय में जाना पड़ता था, जिनको उच्च विद्यालय या फिर मदरसा के नाम से जाना जाता था। मदरसा शब्द फारसी भाषा का शब्द परम से मिलकर बना हुआ है,
जिसका अर्थ होता है "भाषण देना" इस प्रकार से कह सकते हैं कि मदरसा एक वह स्थान होता है, जहाँ भाषण प्रणाली अर्थात व्याख्यान प्रणाली में शिक्षा प्रदान की जाती थी। यहां भिन्न-भिन्न विषयों में भिन्न-भिन्न शिक्षक होते थे, जिनकी नियुक्ति प्रबंध समिति के आधार पर होती थी मदरसा में छात्र के अध्ययन का कल 10 से 11 वर्ष का समय होता था।
मदरसा का पाठ्यक्रम Curriculum of Madarsa
मदरसा के पाठ्यक्रम दो भागों में विभाजित होते थे
- धार्मिक शिक्षा:- मदरसा के प्रथम पाठ्यक्रम में धार्मिक शिक्षा आती थी, जिसमें कुरान के महत्वपूर्ण भागों को याद कराया जाता था, तथा आलोचनात्मक और गहन अध्ययन करना पड़ता था, इसके बाद इस्लामी इतिहास इस्लामी कानून मोहम्मद साहब की परंपरा सूफी सिद्धांतों का अध्ययन धार्मिक शिक्षा के अंतर्गत होता था।
- लौकिक या सांसारिक शिक्षा :- इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत अरबी फारसी भाषाओं का अध्ययन व्याकरण का अध्ययन इतिहास गणित भूगोल ज्योतिष अर्थशास्त्र कानून तर्कशास्त्र नीतिशास्त्र दर्शनशास्त्र यूनानी चिकित्सा कृषि आदि विषयों का अध्ययन कराया जाता था, लेकिन प्रत्येक मदरसे में सभी विषयों के अध्ययन की सुविधा नहीं थी, जबकि कुछ मदरसे विशेष विषयों के अध्ययन के लिए भी जाने जाते थे, जिनमें संगीत तर्कशास्त्र ज्योतिष आदि हुआ करते थे। सल्तनत काल से मुगल काल तक पाठ्यक्रम में धार्मिक शिक्षा की प्रधानता रही।
मदरसा की शिक्षण पद्धति Teaching Methods in Madarsa
मदरसा में मकतब की तरह मौखिक शिक्षण विधि तो थी साथ ही यहाँ पर भाषण विधि या व्याख्यान विधि भी हुआ करती थी। धर्म दर्शन शास्त्र तर्कशास्त्र आदि विषयों के शिक्षण में तर्क विधि का भी उपयोग यहां पर होता था। शिक्षक विद्यार्थियों को स्वअध्याय के लिए प्रोत्साहित करते थे,
हस्तकला के साथ ही शिल्पकला, चिकित्सा संगीत और प्रयोग शिक्षा प्रदान की जाती थी। अध्यापक की अनुपस्थिति या उसकी आज्ञा से अग्रशिष्य प्रणाली का प्रयोग होता था, जिसका माध्यम अरबी भाषा थी।
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