पर्यावरणीय शिक्षा का अर्थ और विशेषताएँ Meaning of Environmental Education

पर्यावरणीय शिक्षा का अर्थ और विशेषताएँ Meaning of Environmental Education 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, हमारे इस लेख पर्यावरण शिक्षा का अर्थ आवश्यकता और विशेषताओं (Meaning of Environmental Education) में।

दोस्तों इस लेख में पर्यावरणीय शिक्षा का अर्थ के साथ आप विशेषताएँ और आवश्यकता भी पड़ेंगे। तो आइये शुरू करते है, यह लेख पर्यावरणीय शिक्षा का अर्थ और विशेषताएँ:-

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पर्यावरणीय शिक्षा का अर्थ और विशेषताएँ

पर्यावरणीय शिक्षा का अर्थ  Environmental Education Meaning 

पर्यावरण शिक्षा दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है पर्यावरण (Environment) और शिक्षा (Education) जिसमें पर्यावरण का अर्थ होता है अपने चारों ओर का आवरण,

जबकि शिक्षा का अर्थ होता है अध्ययन करना इस प्रकार से पर्यावरण शिक्षा का अर्थ होता है पर्यावरण से संबंधित ज्ञान प्राप्त करना, अर्थात अपने चारों ओर घटित होने वाली सभी दशाओं का अध्ययन पर्यावरण शिक्षा में होता है।

पर्यावरण Environment और शिक्षा Education शब्दों के अर्थ को समझने के बाद यह तो स्पष्ट हो जाता है, कि दोनों में विकास Development को महत्व दिया जाता है, जैसे पर्यावरण वातावरण की गुणवत्ता पर बल देता है तथा शिक्षा में व्यक्ति की गुणवत्ता पर विशेष बल दिया जाता है,

किंतु यहाँ शिक्षा शब्द पर्यावरण से पहले जुड़ा हुआ है, इसीलिए इसका अर्थ केवल पर्यावरण शब्द से जोड़ने पर एक ही निकलता है, अर्थात पर्यावरण के बारे में जानकारी प्राप्त करना और इसे ही पर्यावरणीय शिक्षा Environmental Education कहा जाता है।  

पर्यावरणीय शिक्षा की विशेषताएँ Features of Environmental Education

पर्यावरणीय शिक्षा एक नवीन पद्धति है, जिसके अर्थ को समझने के लिए प्रमुख विद्वानों की परिभाषाओं को यहाँ पर दिया गया है:- 

  1. यूनेस्को कार्य समिति 1970 के द्वारा :- पर्यावरण शिक्षा मनुष्यों और उसकी संस्कृति तथा भौतिक जैविक परिवेश के अंतर संबंधों को समझने और उनकी प्रशंसा करने के लिए आवश्यक दक्षता एवं अभिवृत्ति के विकास की दृष्टि से मूल्यों को पहचानने एवं प्रतियों के स्पष्टीकरण की एक प्रक्रिया होती है। यह पर्यावरण की समस्याओं और पर्यावरण की गुणवत्ता संबंधी समस्याओं के बारे में निर्णय लेने और उनके बारे में स्वयं आचार संहिता का निर्माण करने का अभ्यास करवाती है।
  2. मिश्रा के द्वारा:- पर्यावरणीय शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसके द्वारा मनुष्य को पर्यावरण के प्रति जागरूकता ज्ञान कौशल अभिवृत्तियों तथा मूल्यों को विकसित किया जाता है, जिससे पर्यावरण का सुधार किया जा सके।

इन सभी परिभाषाओं के विवेचन से पर्यावरणीय शिक्षा के बारे में निम्न प्रकार के तथ्य प्रकट हो सकते हैं:- 

  1. पर्यावरणीय शिक्षा एक ऐसी शिक्षा है, जो जीवन पर्यंत चलने वाली एक प्रक्रिया होती है।
  2. पर्यावरणीय शिक्षा में ज्ञानात्मक पक्ष की अपेक्षा सभी भौतिक मूल्यों व कौशल के विकास पर अधिक बल दिया जाता है।
  3. पर्यावरणीय शिक्षा अंतर विषय प्रकृति की होती है, इसमें विज्ञान तथा सामाजिक विषयों की सामग्री को स्थान दिया जाता है। 
  4. पर्यावरणीय शिक्षा निर्णय प्रक्रिया का विकास कर अनुकूल निर्णय लेने का प्रशिक्षण देती है।
  5. पर्यावरणीय शिक्षा व्यक्ति को स्वयं ही आचार संहिता निर्मित करने का अवसर प्रदान करती है।

पर्यावरणीय शिक्षा के क्षेत्र Field of environmental education

पर्यावरणीय शिक्षा का क्षेत्र बहुत व्यापक है, जिन्हें हम निम्न प्रकार से समझते हैं:- 

  1. विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में :- विज्ञान और प्रौद्योगिकी दोनों एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं, क्योंकि एक ओर तो विज्ञान Science जीवन की वास्तविकताओं से परिचय करवाता है, तो वहीं दूसरी ओर प्रौद्योगिकी Technology भी मानवीय आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न प्रकार की नई चीजों का विकास भी करती है। इसीलिए मानव अपने जीवन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सिम्मिलित ज्ञान से पर्यावरण को परिवर्तित भी कर रहा है, जिसके अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के परिणाम Result हमारे सामने देखने को मिल रहे हैं 
  2. पर्यावरण की निरंतरता:-  पर्यावरण हमेशा परिवर्तनशील होता है, जो उसकी निरंतरता का ही कारण है। पर्यावरण एक सीमा तक तो मानव द्वारा किए गए नुकसान की पूर्ति करने में सक्षम होता है, किंतु यह नुकसान अगर उसकी सीमा को पार करता है, तब पर्यावरण के घातक परिणाम हमारे सामने देखने को मिलते हैं।
  3. मानविकी के क्षेत्र में :- पर्यावरण और मानव के बीच में एक मनोभावात्मक सम्बन्ध दिखाई देता है, क्योंकि मनुष्य हमेशा ही सुंदर और प्राकृतिक पर्यावरण को देखकर सुख शांति और संतोष का अनुभव करता है, और यह मानविकी (Humanities) से संबंधित ही है, इसीलिए मानव को पर्यावरण से जोड़ा जाता है।
  4. कला और संगीत के क्षेत्र में :- सामाजिक विज्ञान कला संगीत और पर्यावरण पर किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है, कि मनुष्य पर्यावरण से स्थायित्व चाहता है, वह चाहता है, कि प्रकृति सदैव जीवनदायिनी ही बनी रहे, उसमें किसी भी प्रकार का कोई भी परिवर्तन ना हो।
  5. साहित्य के क्षेत्र में :- पर्यावरण शिक्षा का संरक्षण संवहन विकास एवं वर्तमान से जोड़ने का माध्यम साहित्य होता है। पर्यावरण के क्षेत्र में सोचने समझने लिखने और संचार माध्यमों द्वारा प्रसार करने से ही जागरूकता और संवेदनशीलता का वातावरण बनता है।

पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता Need for environmental education

पर्यावरण में सभी जीव जंतु पेड़ पौधे जल वायु आदि आते है, जो लगातार एक दुसरे को प्रभावित करते रहते है। पर्यावरण के कुछ घटक Component तो जीव जंतुओं और पादप के लिए उपयोगी होते है,

किन्तु कुछ अनुपयोगी परन्तु कई कारणों के फलस्वरूप पर्यावरण के उपयोगी घटक भी अनुपयोगी बन जाते है और जीवों पर बुरा असर डालते है, इसलिए पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता है,

जिससे पर्यावरण का संगठन, उसके क्षेत्र उसका जीवों पर प्रभाव समझा जा सके और यह समझा जा सके की किन परिस्थितियों में पर्यावरण नुकसानदायक बनता है और उसको अपने अनुरूप कैसे बना सकते है।

इसलिए पर्यावरण शिक्षा छोटी कक्षाओं से ही इस प्रकार शुरू की जानी चाहिए कियोकि छात्र खेल - खेल में पर्यावरण को समझें उनके घटक के बारे में जाने उनकी आवश्यकता को पहचाने और पर्यावरण के बुरे प्रभाव को कम करने की वैज्ञानिक सोच विकसित करें।

दोस्तों यहाँ पर आपने पर्यावरणीय शिक्षा का अर्थ और विशेषताएँ (Meaning of Environmental Education) पढ़ी। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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