मूसला जड़ किसे कहते हैं, जड़ो के प्रकार Moosala jad kise kahate hain

मूसला जड़ किसे कहते हैं, जड़ो के प्रकार Moosala jad kise kahate hain

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है इस लेख मूसला जड़ किसे कहते हैं (Moosala jad kise kahate hain) में। 

दोस्तों यहाँ पर आप मूसला जड़ किसे कहते है? के साथ जड़ के प्रकार जड़ का रूपान्तरण आदि पढ़ेंगे। तो दोस्तों आइये शुरू करते है, यह लेख मूसला जड़ किसे कहते हैं जड़ो के प्रकार:-

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मूसला जड़ किसे कहते

जड़ किसे कहते हैं What is Root 

जड़ पौधों का एक महत्वपूर्ण भाग होती है, जो भूमि में अंदर की तरफ बढ़ती है तथा जल के अवशोषण और खनिज लवण के अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। साधारण शब्दों में कह सकते हैं, 

कि पौधों का वह भाग जो बीजों के अंकुरण के समय मूलाकुर से विकसित होता है तथा प्रकाश के विपरीत भूमि में नीचे की तरफ जल की ओर गति करता है तथा जल का अवशोषण और खनिज लवण का अवशोषण करके पौधों के विभिन्न भागों में भेजने का काम करता है उसे भाग को जड़ कहते हैं।

जड़ों की विशेषताएँ Characteristics of roots

  1. जड़ पौधों के मूलांकर से विकसित होती है जो पौधों की अक्ष का अवरोही भाग होती है और हमेशा ही प्रकाश से दूर भूमि में वृद्धि करती हैं।
  2. जड़े हमेशा भूमि में ही रहती हैं, इसीलिए इनका जो रंग होता है वह सफेद या फिर मटमैला होता है। 
  3. तनों पर जिस प्रकार के समान पर्व और पर्व सन्धियां उपस्थित होती हैं, वह जड़ों पर अनुपस्थित होती हैं।
  4. जड़ों पर किसी भी प्रकार का कोई भी पत्र या पत्ता तथा किसी भी प्रकार की कलियाँ नहीं होती और ना ही यहाँ पर पुष्प पाए जाते हैं।
  5. जड़ों की विशेषता होती है, कि वह धनात्मक गुरुत्व अनुवर्ती तथा ऋणात्मक प्रकाश अनुवर्ती होती हैं।
  6. जड़ों पर एक कोशिकीय रोम होते हैं तथा इनका सिरा मूल गोप द्वारा सुरक्षित रहता है।

जड़ो के प्रकार Type of Root 

जड़ों को दो प्रकारों में विभाजित किया गया है:- 

  1. मूसला जड़ Tap Root
  2. अपस्थानिक जड़ Adventitious root

मूसला जड़ किसे कहते हैं What is tap root

मूसला जड़ वे जड़े होती हैं, जिनमें मूलांकूर विकसित होकर एक ही जड़ का विकास करता है तथा कुछ पाशर्व शाखाएं भी निकलती हैं, जिनको द्वितीयक जड़े कहते हैं इन द्वितीयक जड़ों में फिर से कुछ शाखाऐं निकलती हैं, 

जिनको तृतीयक जड़े कहा जाता है। इस प्रकार से यह सब मिलकर एक विशेष प्रकार का मूसला जड़ तंत्र का निर्माण कर देती है। इस प्रकार का मूसला जड़ तंत्र अधिकतर द्विबीजपत्री पौधों में देखने को मिलता है। 

मूसला जड़ों का रूपांतरण Transformation of tap roots

पादपो में मूसला जड़ खाद्य पदार्थों का संचय कर लेती हैं, जिसके कारण वह मोटी हो जाती हैं और मांसल हो जाती हैं तथा इनकी आकृति बदल जाती है, 

जिनको विभिन्न रूपों में पुकारा जाता है और इसको ही जड़ों का रूपांतरण कहते हैं, जो आकृति के आधार पर निम्नप्रकार से है :- 

  1. तुर्क रूपी :- तुर्क रूपी जड़े वे होती हैं, जो बीच में फूली हुई होती हैं जबकि ऊपर और नीचे पतली अवस्था में होती हैं "उदाहरण के लिए मूली"
  2. शंकुरूपी :- ऐसी मूसला जड़े जो आधार की तरफ तो मोटी होती है और नीचे की तरफ पतली होती जाती हैं, वे शंकुरूपी जड़े होती हैं "उदाहरण के लिए गाजर"
  3. कुम्भीरूपी :- इस प्रकार की जड़ों का जो ऊपरी सिरा होता है वह पूरी तरीके से गोल और फूला दिखाई देता है, जबकि नीचे की तरफ से अचानक पतला होता है "उदाहरण के लिए शलजम और चुकंदर"
  4. न्यूमेटाफॉर :- दलदली जगह पर उगने वाले कुछ पौधों की भूमिगत जड़ों से विशेष प्रकार की जड़ निकलती हैं, जो खूंटी के आकार की होती हैं और ऊपर वायु में निकल जाती हैं, जिनको न्यूमेटाफॉर (Pneumetaphor) कहा जाता है "उदाहरण राईजोफोरा, सुंदरी"

अपस्थानिक जड़ किसे कहते हैं What is adventitious root

वे जड़े जिन जड़ों का रूपांतरण भोजन संग्रह के साथ पौधों को यांत्रिक सहारा प्रदान करना और अन्य विशिष्ट जैविक कार्यों के लिए होता है, उनको अपस्थानिक जड़ किसे कहते हैं। 

भोज्य पदार्थ के संचय के लिए To store food

  1. कंदिल जड़ :- अपस्थानिक जड़ों में जब खाद्य पदार्थों का संचय हो जाता है, तो उनकी कोई एक विशेष आकृति नहीं होती यह कैसी भी आकृति ले लेते हैं "उदाहरण के लिए शकरकंद"
  2. पुलकित जड़ :- अपस्थानिक जड़ो के इस रूपांतरण में अनेक मांसल फूली हुई जड़े गुच्छे के रूप में तने के आधार से निकलती हैं "उदाहरण डहलिया" 
  3. ग्रंथिल जड़ :- अपस्थानिक जड़े जब अपने सिरे पर फूल कर मोटी हो जाती हैं, मांसल हो जाती हैं, तो उनको ग्रंथिल जड कहते हैं "उदाहरण आम हल्दी"
  4. मणिकामय जड़ :- अपस्थानिक जड़ जब थोड़े-थोड़े स्थान पर फूल जाती हैं तो उनमें मोतियों की माला समान दिखाई देती हैं "उदाहरण अंगूर कोला"

यांत्रिक सहारा प्रदान करने के लिए To provide mechanical support

  1. स्तम्भ मूल :- कुछ पौधे ऐसे होते हैं, जिनमें अनेक शाखाएं होती हैं और उन शाखों से जड़े निकलकर भूमि में प्रवेश कर जाती हैं तथा वृक्षों की शाखों को यांत्रिक सहारा प्रदान करती हैं, इनको स्तंभ मूल जड़ कहते हैं "उदाहरण बरगद इंडियन रबर" 
  2. अवस्तम्भ मूल :- अवस्तम्भ मूल जड़ मुख्य तने के आधार के पास से निकलती हैं जो भूमि में तिरछी प्रवेश करती हैं और पौधों को यांत्रिक सहारा देती हैं "उदाहरण मक्का और गन्ना" 
  3. आरोही मूल :- इस प्रकार की जुड़े अधिकतर हर्बल तनों की संधियों और पर्व संधियों से निकलती हैं तथा पौधों को किसी आधार पर चढ़ने में सहायता प्रदान करती हैं। इस प्रकार की जड़े अगले सिरे पर फूलकर छोटी-छोटी ग्रंथियों का निर्माण करती हैं, जिनमें एक तरह का चिपचिपा द्रव स्रावित होता है, जो तुरंत ही वायु के संपर्क में आने पर सूख जाता है "उदाहरण के लिए पान"

अन्य जैविक कार्यों के लिए For other biological functions

बहुत सी ऐसी जड़ी होती है, जो विभिन्न प्रकार के जैविक कार्यों को करने के लिए महत्वपूर्ण होती हैं जैसे की 'चूसण जड़' जो परजीवी पौधों में निकलते हैं और भोज्य पदार्थ का पोषक पौधों से चूषण कर लेती हैं। कुछ जड़े ऐसी होती हैं, जो जलीय पौधों के लिए तैरने और शवशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, 

जिनको 'शवशनी जड़े' कहते है। कुछ जड़ो को स्वागीकारक मूल भी कहते हैं, जो तनो के आधार से निकलती है तथा हरी और लंबी बेलनाकार होती है, यह हरितलवक युक्त होती है और प्रकाश संश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण होती है "उदाहरण सिंघाड़ा" 

जड़ो के कार्य Function of Roots

  1. जड़ो का सबसे प्रमुख कार्य होता है, पादपो को सहारा प्रदान करना अर्थात यांत्रिक सहारा प्रदान करना, ताकि पेड़ पौधे ठीक प्रकार से भूमि में खड़े रह सके।
  2. जड़ो के द्वारा ही मृदा से खनिज पदार्थ का अवशोषण तथा जल का अवशोषण होता है और जड़ों के द्वारा ही खनिज पदार्थ तथा जल को पौधों के तने में तथा शाखाओ में भेजा जाता है, जड़ो के मूल रोम जड़ो के कोमल भाग घुलित खनिज लवण का अवशोषण करने का काम करते हैं।
  3. कुछ जड़े अपने आप में भोज्य पदार्थ का संग्रहण करती हैं तथा विपरीत परिस्थितियों में पौधों के काम आती हैं।

दोस्तों यहाँ पर आपने मूसला जड़ किसे कहते हैं, जड़ो के प्रकार, जड़ो के कार्य (Moosala jad kise kahate hain) आदि पढ़े, आशा करता हूँ आपको लेख अच्छा लगा होगा।

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