अनावृतबीजी पौधों के लक्षण Characteristics of Gymnosperm Plants
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अनावृतबीजी किसे कहते हैं What are gymnosperms
अनावृत्तबीजी उन पौधों का समूह होता है, जिनमें बीजों का निर्माण तो होता है, किंतु यह बीज नग्न अवस्था में होते हैं, अर्थात इनके ऊपर किसी प्रकार का खोल नहीं होता, साधारण शब्दों में कह सकते हैं, कि वे समस्त पादप जिनमें बीजों का निर्माण तो होता है,
किंतु बीजों में किसी भी प्रकार का आवरण नहीं होता अर्थात बीजाण्ड (Ovule) और उनसे विकसित बीज किसी भी खोल में और फल में बंद नहीं होते हैं। इन पादपो में अंडाशय पूरी तरीके से अनुपस्थित होता है। अनावृतबीजी को पुराने पादपो का वर्ग कहा जाता है, जिसमें लगभग 900 जातियों को रखा गया है।
अनावृत्तबीजी की परिभाषा Definition of gymnosperm
- पादप जिनमें बीजों का निर्माण होता है, किंतु बीज किसी भी प्रकार के खोल या आवरण से ढके हुए नहीं होते।
- बीजाण्ड से विकसित होने वाले बीज नग्न अवस्था में पाए जाते है, यह किसी भी प्रकार के आवरण से या फिर फल के अंदर ढकी हुई अवस्था में नहीं होते हैं, वे अनावृत्तबीजी होते है।
- अनावृतबीजी पौधों के लक्षण Characteristics of Gymnosperm Plants
- अनावृत्तबीजी पादप बहुवर्षीय पादप होते हैं, जो स्वभाव से मरुदभिद (Xerophytes) होते है।
- इन पादपो में वार्षिक वलय स्पष्ट दिखाई देते हैं, जबकि बीजों में बीजों का आवरण नहीं होता।
- इनमें संवहन उत्तक जाइलम और फ्लोएम (Xylem and Phloem) उपस्थित होते हैं, जिनके द्वारा भोज्य पदार्थ और खनिज लवण का संवहन होता है।
- अनावृत्तबीजी पादप नग्न बीजीय और आशाखित पौधों के रूप में जाने जाते है, जिनमें परागण Pollination वायु परागण Air Pollination प्रकार का होता है।
- इन पादपो में साधारण बहुभ्रूणता देखने को मिलती है और भ्रूण से मूलांकुर तथा प्रांकूर के साथ ही एक या एक से अधिक बीजपत्र पाए जाते हैं।
- साइकस में काष्ठ मेनोजाइलिक (Mannozylic) तथा पाइनस में पिक्नोजाइलिक (Pycnogenylic) होती है।
- साईकब की कोरेलॉयड जड़ों पर नील हरित शैवाल एनाबीना तथा नॉस्टॉक पाए जाते हैं
- इस वर्ग के पादप सबसे बड़ा अंडाणु तथा शुक्राणु साइकस का होता है जिसको जिम्नोस्पर्म कहते हैं।
- इनमें जननांग कोंस (Conse) या स्ट्रोविलाई (Strovilai) के रूप में समूहित होते हैं।यह कोंस एक लिंगी होते है, नर शंकु (कोंस )माइक्रोस्पोरोफिल या लघुबीजाणु पर्ण तथा मादा शंकु गुरुबीजाणुपर्ण का निर्माण करते हैं।
अनावृत्तबीजी का आर्थिक महत्व Economic importance of gymnosperms
- अनावृत्तबीजी साइकस के तनो से मंड निकाला जाता है, जिससे खाने वाले साबूदाना का निर्माण होता है, जबकि साइकस के बीज अंडमान द्वीप के जनजातियों के द्वारा भोज्य पदार्थ के रूप में उपयोग में लाये जाते हैं।
- पाइनस अनावृत्तबीजी से प्राप्त चिलगोजा (Pine Nuts) का उपयोग भी भोज्य पदार्थ के रूप में लाया जाता है।
- चीड़ स्प्रूस सिकोया देवदार आदि अनावृत्तबीजी का उपयोग फर्नीचर बनाने के लिए करते हैं।
- चीड़ के पेड़ से तारपीन का तेल प्राप्त होता है, जबकि देवदार से सेन्डरस का तेल प्राप्त होता है, वहीं जूनिपेरस की लकड़ी से सेडकाष्ठ का तेल प्राप्त होता है, जिनका उपयोग विभिन्न तरीके से प्रयोगशाला में मेडिसिन में तथा अन्य घरेलु तौर पर किया जाता है।
- टैनिन का उपयोग चमड़ा और स्याही के निर्माण में तथा शंकु पौधों से रेजिन प्राप्त होता है।
- कुछ अनावृत्तबीजी ऐसे होते हैं, जिनका उपयोग दवाइयो के निर्माण में भी होता है, जैसे कि इफेड्रा इसके रस से इफेड्रिन नामक औषधि प्राप्त होती है, जिसका उपयोग दमा और खांसी के रोगों में होता है।
- कोनीफर मुलायम रेशेदार काष्ठ से लुगदी बनती है जिसका उपयोग कागज उद्योग में होता है।
- बहुत से अनावृत्तबीजी ऐसे होते हैं, जिनका उपयोग बगीचों में पार्क में घर की दीवारों में सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है, जबकि कुछ से रस्सी और पत्तियों का उपयोग करके झाड़ू बनाई जाती है।
अनावृतबीजी के महत्वपूर्ण तथ्य Important facts about gymnosperms
- चिलगोजा को जिम्नोस्पर्म का मेवा कहा जाता है, जबकि साइकस को सागोपाम के नाम से जानते हैं।
- सबसे अधिक गुणसूत्र ऑफियोग्लोसम (Ophioglossum) नामक फर्न में होते हैं।
- सबसे मोटा तना टेक्सोडियम मेक्सीकेनम नामक जिम्नोस्पर्म का होता है।
- शैवाल युक्त साइकस की जड़ को कोरेलाइड जबकि कवक युक्त पाइनस की जड़ को माइकोराइजाल जड़े कहते है।
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