तना किसे कहते हैं, तने का रूपान्तरण Tana kise kahate hain
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है इस लेख तना किसे कहते हैं, तने का रूपान्तरण (Tana kise kahate hain) में।
दोस्तों यहाँ पर आप तना किसे कहते हैं? तने का रूपान्तरण के साथ ही तना की विशेषताएँ आदि पड़ेंगे, तो आइये शुरू करते है यह लेख तना किसे कहते हैं, तने का रूपान्तरण:-
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तना किसे कहते हैं Tana kise kahate hain
तना प्रांकुर से विकसित होने वाला पौधे का वह भाग होता है, जो प्रकाश की दिशा में वृद्धि करता है अर्थात पौधे का वह भाग जो भूमि और जल के विपरीत वृद्धि करें तथा प्रकाश की ओर वृद्धि करें उसको तना कहते हैं। तना पादप का ऐसा भाग होता है,
जो वृद्धि करने के पश्चात पत्तियों फूल और फल का रूप धारण कर लेता है। साधारण भाषा में कहा जा सकता है, कि तना वह भाग होता है जो किसी भी वृक्ष को महत्वपूर्ण आलंबन प्रदान करने के साथ ही वृक्ष का ढांचा निर्मित करता है वृक्ष का शरीर निर्मित करता है।
तना की विशेषताएँ Stem characteristics
- तना भूमि के विपरीत और प्रकाश की ओर गति करने वाला पौधे का आरोही भाग होता है।
- तने के आगे वाले सिरे पर कलिकायें पाई जाती हैं, जिनसे तना वृद्धि करता है।
- तना अपनी वृद्धि करके शाखाओं में और पत्तियों में परिवर्तित हो जाता है।
- तने का आकार बेलनाकार चपटा और कोणीय भी देखने को मिल सकता है।
- पेड़ पौधों के सम्पूर्ण शरीर में तने के माध्यम से ही भोज्य पदार्थ, जल और खनिज पदार्थ का संवहन होता है।
तने के प्रकार Type of Stem
भूमि की स्थिति के आधार पर तने को तीन प्रकार से वर्गीकृत किया गया है:-
- भूमिगत तना Underground stem
- अर्धवायवीय तना Sab arial stem
- वायवीय तना Arial stem
भूमिगत तना Underground stem
जब पौधे का तना भूमि के अंदर वृद्धि करता है, उसको भूमिगत तना कहते हैं, भूमिगत तना पर पर्व सन्धियां, पर्ण कलिकायें शक्ल पत्र आदि उपस्थित होते हैं, तथा यह भोजन आदि का संग्रह करने के पश्चात मोटे और अनियमित आकृति ग्रहण कर लेते हैं, जैसे की हल्दी, अदरक, केला, आलू, प्याज, लहसुन, कचालू, जमीकंद अरबी, आदि।
भूमिगत तने का रूपांतरण Underground stem transformation
भूमि के अंदर वृद्धि करने वाले तने विभिन्न भोज्य पदार्थों का संग्रहण करने के पश्चात फूल जाते हैं और मोटे हो जाते हैं और इनकी आकृति अनियमित हो जाती है जिनको निम्न प्रकार से यहाँ पर समझाया गया है:-
- प्रकन्द Rhizome :- जब भूमिगत तना मोटा हो जाता है और इसमें कक्षस्थ और अग्रस्थ कलिकायें तथा पर्व सन्धियां, स्पष्ट पर्व शल्क आदि उपस्थित होते हैं जो यह शाखा रहित या शाखायुक्त होते हैं उनको प्रकन्द कहते है। कभी-कभी इनमें अपस्थानिक जड़े भी विकसित हो जाती हैं, उदाहरण के लिए हल्दी, अदरक, केला आदि।
- स्तम्भकंद Stem tuber :- यह भूमिगत तना वह तना होता है, जो भोजन संग्रह कर लेता है और अपने आगे वाले सिरे पर फूल जाता है, जिस पर अनेक गड्ढे भी उभर जाते हैं, जिनको आंखें कहते हैं और यह आंख एक शल्क पत्र होताी है, जो पर्व सन्धियो को दर्शाता है, तथा प्रसुप्त कलिकायें होती है, जिनसे वायवीय शाखाएँ निकलती है, जिनके आगे वाले सिरे पर अग्रस्थ कलिकायें होती है, जो अनुकूल परिस्थितियों में वृद्धि करती हैं और नए पौधों को जन्म देती हैं, उदाहरण के लिए आलू आदि।
- शल्ककंद Bulb :- वह भूमिगत तना जो छोटे-छोटे शल्क पत्रों से मिलकर बना होता है और यह शल्क पत्र ही भोजन का संग्रह कर लेते हैं और फूल कर मोटे और मांशल हो जाते हैं, जिसकी बाहरी परत शुष्क अवस्था में होती है और केंद्र तक क्रम में व्यवस्थित शल्क पाए जाते हैं, उनको शल्ककंद कहते है उदाहरण के लिए प्याज और लहसुन आदि।
- घनकंद Corm :- घनकंद भूमिगत तना प्रकन्द का ही रूप होता है जो नीचे उर्द्ध दिशा की ओर वृद्धि करता है। इस प्रकार के तने में अधिक मात्रा में भोजन संग्रहित हो जाती है और शल्क पत्रों के कक्षा में कालिकाएँ पाई जाती हैं, जबकि इसके आधार पर अपस्थानिक जड़े भी देखने को मिलती हैं, उदाहरण के लिए जमीकंद कचालू आदि।
अर्धवायवीय तना Sub Aerial Stem
अर्धवायवीय तना वह तना होता है, जिसका कुछ भाग तो भूमि के अंदर विकसित होता है, जबकि कुछ भाग भूमि के बाहर विकसित होता है। उदाहरण के लिए दूब घास जलकुंभी पिपरमेंट गुलदाउदी आदि।
अर्धवायवीय तना का रूपान्तरण Semiaerial stem modification
अर्धवायवीय तना निम्न प्रकार से रूपांतरित होकर आकृतियाँ ग्रहण कर लेता है, जिनको हम निम्न प्रकार से समझते हैं :-
- उपरिभूस्तरी (Runner) :- यह अर्धवायवीय तना भूमि के बिल्कुल समानांतर फैला होता है, जिसमें लंबे और पतले पर्व उपस्थित होते हैं, जबकि पर्व सन्धियो से ऊपर की ओर शाखाएं और तना तथा भूमि के अंदर की ओर अपस्थानिक जडे विकसित होती हैं, उदाहरण के लिए दूब घास आदि।
- भूस्तरी (Stolon) :- जब अर्धवायवीय तना भूमि के अंदर क्षेतिज दिशा में वृद्धि करने लगता है, तब उसको भूस्तरी तना कहते हैं, जिस पर पर्व और पर्व सन्धियां दोनों ही पाए जाते हैं, पर्व सन्धियों के ऊपर की ओर शाखाएँ विकसित होने लगती हैं तथा नीचे की ओर अपस्थानिक जडे विकसित होने लगती हैं। उदाहरण के लिए अरुई।
- भूस्तारिका Offset :- इस प्रकार का तना उपरिभूस्तरी तने के जैसा ही होता है, किन्तु इसमें पर्व छोटे और मोटे होते है, और पर्व सन्धियो के ऊपर पत्तियाँ वृद्धि करती हैं। उदाहरण के लिए जलकुंभी
- अंत:भूस्तरी Suckers :- इस प्रकार के तने में भूस्तरी के तरह पाशर्व शाखाऐं होती है, किंतु यह ऊपर की ओर तिरछा वृद्धि करता है और नए पौधे को जन्म देता है। उदाहरण के लिए गुलदाउदी, पिपरमेंट
वायवीय तना Aerial Stem
जब तना पूरा का पूरा भूमि के ऊपर ही वृद्धि करने लग जाता है तब उसको वायवीय तना कहा जाता है, जो वृद्धि करने के पश्चात पत्तियों शाखाओं, कलियों, फल, फूल आदि में विकसित होता है। उदाहरण के लिए गुलाब अंगूर नागफनी आदि।
वायवीय तना के रूपान्तरण Arial stem modifications
- कंटक स्तम्भ Stem thorn :- जब तने में कक्षस्थ कलिकायें काँटों के रूप में रूपांतरित हो जाती हैं तथा यह पट्टी शाखा और पुष्प में विकसित होने लगती हैं उन्हें कंटक स्तम्भ तना कहते है। उदाहरण के लिए नींबू
- स्तम्भ प्रतान Stem tendil :- जब तने में पत्तियों के कक्ष से निकली शाखा बनाने बाली कलिका कुंडलित होकर तंतु बना लेती है और कमजोर तने वाले पौधों के आरोहण में सहायता करती है, जो तंतु स्तम्भ प्रतान कहलाता है। उदाहरण के लिए अंगूर
- पर्णकाय स्तम्भ Phylloclade :- हरा चपटा गोल मोटा तना जो पत्तियों की तरह ही कार्य करने लगता है तथा पत्तियाँ कांटे रूपी संरचना में बदल जाती हैं तथा जल की हानि को रोकने में सहायता प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए नागफनी
- पर्णाभ पर्त Cladode :- कुछ पौधों की पर्त संधियों से छोटी हरी और बेलनाकार चपटी शाखाएँ निकलती हैं, जो शल्क पत्र में परिवर्तित हो जाती हैं और वाष्पोत्सर्जन की दर को कम करने मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, तथा प्रकाश संश्लेषण क्रिया हरे तने और उसकी शाखाओं के द्वारा संपादित करती हैं। उदाहरण के लिए शतावर
- पत्र प्रकलिका Bulbil :- कुछ पौधों की कक्ष और पुष्प कालिकाएँ विशेष छोटे आकार की रचना में रूपांतरित होने लगती हैं, जिन्हे पत्र प्रकलिका कहते है। यह मातृ पौधे से अलग होकर मिट्टी में गिर जाती हैं और नए पौधों का निर्माण कर लेती हैं। उदाहरण के लिए अलोय
दोस्तों यहाँ पर आपने तना किसे कहते हैं, तने का रूपान्तरण (Tana kise kahate hain) तना की विशेषताएँ पढ़ी, आशा करता हुँ, आपको लेख अच्छा लगा होगा।
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