सूक्ष्म शिक्षण पाठ योजना Micro teaching lesson plan
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दोस्तों यहाँ पर आप सूक्ष्म शिक्षण का अर्थ परिभाषा के साथ ही सूक्ष्म शिक्षण चक्र भी समझ पायेंगे तो आइये शुरू करते है, यह लेख सूक्ष्म शिक्षण पाठ योजना / सूक्ष्म शिक्षण कौशल :-
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सूक्ष्म शिक्षण पाठ योजना Micro teaching lesson plan
सूक्ष्म शिक्षण पाठ योजना को सूक्ष्म शिक्षण कौशल के नाम से भी जाना जाता है और यह शिक्षण प्रक्रिया में वह एक महत्वपूर्ण विधि होती है, जिसको छात्र अध्यापक को शिक्षण में पारंगत करने के लिए उपयोग में लाई जाती है। सूक्ष्म शिक्षण पाठ योजना के तहत छात्र अध्यापक 5 से 6 छात्रों को किसी एक निश्चित विषय वस्तु को पढाता है और पर्यवेक्षक
इसका परीक्षण करते हैं और तुरंत ही उसकी गलतियाँ तथा उपलब्धियों को बताते हैं, इसके पश्चात छात्र अध्यापक फिर से उसमें सुधार करके फिर से शिक्षण का कार्य शुरू करता है और यह तब तक चलता रहता है जब तक छात्र अध्यापक उस कौशल को ग्रहण नहीं कर लेता अर्थात उसके शिक्षण कोई कमी नहीं रह जाती है।
सूक्ष्म शिक्षण का अर्थ Meaning of Micro teaching
हम सभी जानते हैं, कि शिक्षा ही वह एक आयाम है, जो किसी देश के विकसित और विकासशील तथा मजबूत होने में अहम भूमिका निभाती है, इसीलिए शिक्षा के क्षेत्र में लगातार कई प्रकार के ऐसे प्रयास किए जाते हैं,
जिससे शिक्षण को प्रभावी बनाया जा सके और अच्छे विद्यार्थी तैयार करके अच्छे नागरिक तैयार किया जा सके जो देश को मजबूत और विकसित बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँ, उन्ही प्रक्रियाओं में से एक को कहते हैं "सूक्ष्म शिक्षण" (Micro Teaching) जिसका मुख्य उद्देश्य प्रभावशाली शिक्षक तैयार करना होता है, जो अच्छे विद्यार्थियों को तैयार करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका दे सकें।
सूक्ष्म शिक्षण एक ऐसा उद्देश्य होता है, एक ऐसा कौशल होता है, जो छात्र अध्यापकों को शिक्षण के दौरान दिया जाता है, इसके अंतर्गत छात्र अध्यापक परंपरागत शिक्षण विधियों के माध्यम से शिक्षण कार्य करते हैं। साधारण शब्दों में कह सकते हैं,
कि सूक्ष्म शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया होती है, एक शिक्षण की ऐसी विधि होती है, जिसके अंतर्गत छात्र अध्यापक एक छोटे समूह अर्थात 5 से 6 छात्रों को कम समय लगभग 5 से 10 मिनट में एक छोटी सी विषय वस्तु का शिक्षण करने का कार्य करते हैं, जिसमें वह एक समय में एक ही शिक्षण कौशल पर ध्यान देते हैं।
इस प्रकार से वह कक्षा समय विषय वस्तु एवं शिक्षण की किलिस्टता का शिक्षण में सूक्ष्म रूप है। सूक्ष्म शिक्षण के प्रतिपादक और डॉ एलन और डॉ बुस ने बताया, कि इस विधि का प्रयोग शिक्षण अभ्यास शिक्षक की कुशलता का विकास करने के लिए किया जाता है।
सूक्ष्म शिक्षण की परिभाषाएँ Definition of Micro Teaching
सूक्ष्म शिक्षण के प्रतिपादक एलन तथा बुस ने निम्न प्रकार से सूक्ष्म शिक्षण की परिभाषाएं दी हैं:-
- एलन के अनुसार :- सूक्ष्म शिक्षण कक्षा पाठ की विषय वस्तु समय तथा शिक्षण किलष्टता के संदर्भ में संक्षिप्तीकरण कक्षा शिक्षण की विधि है।
- बुस महोदय के अनुसार :- सूक्ष्म शिक्षण अध्यापक शिक्षा की वह एक विधि है, जो शिक्षण को स्पष्ट रूप से परिभाषित शिक्षण कौशलों के आधार पर पूर्ण नियोजित ढंग से निर्मित विषय वस्तु के आधार पर 5 से 10 मिनट के समय के लिए छात्रों के एक लघु समूह को पढ़ाने का अवसर प्रदान करता है, तथा पृष्ठपोषण वीडियो टेप रिकॉर्डर के प्रयोग का अवसर प्रदान करता है।
सूक्ष्म शिक्षण का चक्र Cycle of Micro teaching
सूक्ष्म शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य छात्र अध्यापकों को शिक्षण से पूर्व प्रशिक्षण प्रदान करना होता है। यह प्रशिक्षण बिना अभ्यास एवं पृष्ठ पोषण के संभव नहीं होता, इसीलिए छात्र अध्यापकों को पाठ योजना प्रस्तुत की जाती है, तथा प्रशिक्षण प्रदान करने वाले परीवेक्षक सूक्ष्म शिक्षण के दौरान छात्र अध्यापक के द्वारा की गई कमियों और अच्छाइयों को लिखते हैं,
तथा प्रस्तुतीकरण के समय इस पर खुली चर्चा होती है और चर्चा के आधार पर परीवेक्षक फिर से अर्थात पुनः पाठ का निर्माण करने के लिए और उसे दोबारा पढ़ाने के लिए कहता है। यह कार्य तब तक चलता रहता है जब तक छात्र अध्यापक शिक्षण कौशल को पूर्ण रूप से अपने अंदर विकसित न कर ले। सूक्ष्म शिक्षण की अवधि कितनी होनी चाहिए इस संबंध में अलग-अलग शिक्षा शास्त्रियों के द्वारा अलग-अलग विचार दिए गए हैं, जिनमें से एलन महोदय के अनुसार सूक्ष्म शिक्षण सप्ताह में दो बार छात्र अध्यापकों के लिए उपयुक्त माना जाता है, जिसका समय निम्न प्रकार से है:-
सूक्ष्म शिक्षण पाठ :- 5 मिनट
पाठ पर विचार विमर्श :- 10 मिनट
पाठ का पुनः निर्माण :- 15 मिनट
पुनः शिक्षण :- 5 मिनट
पुनः शिक्षण पाठ पर :- 10 मिनट
विचार विमर्श
इस प्रकार से सूक्ष्म शिक्षण का चक्र 45 मिनट का होता है। वही शिक्षा शास्त्री बीके पासी निम्न प्रकार से सूक्ष्म शिक्षण का चक्र निर्धारित करते हैं:-
सूक्ष्म शिक्षण :- 5 से 10 मिनट
सूक्ष्म शिक्षण पाठ पर चर्चा :- 10 से 15 मिनट
पाठ का पुनः निर्माण :- सुविधा अनुसार
पुन: शिक्षण :- 5 से 10 मिनट
पुनर्शिक्षण पर चर्चा :- 10 से 15 मिनट
सूक्ष्म शिक्षण की विशेषताएँ Feature of Micro Teaching
- सूक्ष्म शिक्षण एक ऐसी शिक्षण विधि है, जिसको नियंत्रण शिक्षण विधि के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि नियंत्रित परिस्थितियों में भी शिक्षक इन विधियों के अंतर्गत शिक्षण कार्य करके शिक्षण कौशल अर्जित कर सकते हैं:-
- सूक्ष्म शिक्षण में कक्षा का आकार छोटा होता है, इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या छात्र अध्यापक को नहीं आती है।
- सूक्ष्म शिक्षण में शिक्षक बहुत कम समय लगभग 5 से 10 मिनट तक अपना शिक्षण कार्य करता है, क्योंकि इसमें सुविधा अनुसार पाठक सामग्री तैयार करने की अनुभूति होती है।
- इस शिक्षण प्रक्रिया के फलस्वरुप एक ही शिक्षण कौशल पर ध्यान दिया जाता है, जिससे छात्र अध्यापक उसमें जल्दी पारंगत हो जाते हैं।
- सूक्ष्म शिक्षण का प्रयोग शिक्षकों अथवा छात्र अध्यापकों में शिक्षक कौशलों का विकास करने की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
सूक्ष्म शिक्षण की उपयोगिता Utility of Micro teaching
- सूक्ष्म शिक्षण की उपयोगिता मैं सबसे प्रमुख बिंदु यह होता है, कि यह एक वास्तविक शिक्षण प्रक्रिया है और शिक्षक व्यवहार पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
- इस प्रक्रिया में समुचित मार्गदर्शन मिले तो सूक्ष्म शिक्षण प्रभावी तथा रोचक बन जाता है।
- सूक्ष्म शिक्षण में जो पर्यवेक्षक होते हैं, वह छात्र अध्यापकों के द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले शिक्षण में कमियां और उपलब्धियां को देखते हैं और उन्हें सुधारना बताते हैं।
- इस शिक्षण प्रविधि के द्वारा जो विभिन्न प्रकार के स्रोत होते हैं, उन स्रोतों के द्वारा छात्र अध्यापक अपना पृष्ठपोषण स्वयं देख सकता है तथा अपनी कमियों को दूर कर सकता है।
- सूक्ष्म शिक्षण एक नियंत्रित प्रविधि है, जबकि यह प्रशिक्षणारथियो एवं प्रशिक्षण व्यक्तीकरण में सहायक होती है।
दोस्तों यहाँ पर आपने सूक्ष्म शिक्षण पाठ योजना / सूक्ष्म शिक्षण कौशल (Micro teaching lesson plan) के साथ सूक्ष्म शिक्षण की परिभाषाएँ, सूक्ष्म शिक्षण चक्र आदि कई महत्वपूर्ण तथ्य पढ़े, आशा करता हुँ, यह लेख आपको अच्छा लगा होगा।
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