हंटर आयोग कब आया Hunter aayog kab aaya

हंटर आयोग कब आया Hunter aayog kab aaya 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, आज के हमारे इस लेख हंटर आयोग कब आया? (hunter aayog kab aaya) में। 

दोस्तों आप आज यहां हंटर आयोग 1882 क्या है? हंटर आयोग का गठन हंटर आयोग के उद्देश्य के साथ ही हंटर आयोग की सिफारिश के बारे में जान पाएंगे तो आइये दोस्तों बडते हैं और पढ़ते हैं यह लेख हंटर आयोग Hunter Commission क्या है :- 

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हंटर आयोग कब आया


हंटर आयोग क्या है Hunter aayog kya hai 

शिक्षा के संदर्भ में 1854 में वुड्स का घोषणा पत्र आया था और इस घोषणा पत्र की जो भी शिक्षा के संदर्भ में तथा शिक्षा से जुड़ी हुई शैक्षिक विकास से संबंधित सिफारिशे थी उनको सरकार ने सैद्धांतिक रूप से मान तो लिया था, किंतु व्यावहारिक रूप में नहीं ला पाई और उनकी उपेक्षा करती रही जबकि इस घोषणा पत्र में निषपंदन सिद्धांत को भी अस्वीकार करके सार्वजनिक शिक्षा को मान्यता प्रदान की थी, 

किंतु सरकार ने इस पर भी किसी भी प्रकार का कार्य नहीं किया, इसीलिए 3 फरवरी 1882 में उस समय के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रिपन ने सर विलियम हंटर की अध्यक्षता में भारतीय शिक्षा आयोग की नियुक्ति की और 1882 के प्रथम शिक्षा आयोग को हंटर आयोग के नाम से जाना गया। इस आयोग की नियुक्ति यह जानने के लिए की गई थी, कि 1854 में जो बुड घोषणा पत्र का शिक्षा के संदर्भ में सुझाव थे 

उन सुझावों को सरकार ने कहां तक क्रियान्वित किया और किस प्रकार से शैक्षिक विकास हुआ है। इस प्रकार से कहा जा सकता है, कि हंटर आयोग शिक्षा से संबंधित मूल्यांकन करने के लिए तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रिपन के द्वारा बनाया हुआ कुछ लोगों का ग्रुप था, जो यह जांच करता की सरकार के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किस प्रकार से विकास कार्य किया जा रहे हैं। 

हंटर आयोग के उद्देश्य Aims of Hunter Commission 

हंटर आयोग के गठन के समय निम्न प्रकार के उद्देश्य शिक्षा से संबंधित थे:- 

  1. प्राथमिक शिक्षा की वर्तमान स्थिति का पता करना और उसके विकास के लिए सुझाव देना।
  2. मिशनरियों के द्वारा जो भी स्कूल विद्यालय चलाए जा रहे हैं, उनका महत्व देना।
  3. जो भी राजकीय शिक्षण संस्थाएं हैं, उनका मूल्यांकन करना और उनको चलने देने या फिर उनको बंद करने के विषय में निर्णय देना।
  4. अनुदान नियमावली का मूल्यांकन करना तथा यह देखना की शिक्षा प्रसार के लिए भारतीय जनता के द्वारा जो भी प्रयास हो रहे हैं क्या सरकार उसको प्रोत्साहित कर रही है या फिर उदासीनता ही बरत रही है। 
  5. हंटर आयोग का उद्देश्य था, कि प्राथमिक शिक्षा का मूल्यांकन करने के पश्चात माध्यमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा के संदर्भ में भी सुझाव देना।

हंटर आयोग की प्रमुख सिफारिशें Hunter Commission Ki Sifarishe 

हंटर आयोग के गठन के पश्चात विभिन्न प्रकार के शैक्षिक उद्देश्य रखे गए और इस आयोग ने शिक्षा के क्षेत्र में गहन अध्ययन किया तथा शैक्षिक विकास के बारे में निष्कर्ष तक पहुंचे और अपनी सिफारिशें सरकार के समक्ष निम्न प्रकार से प्रस्तुत की:- 

  1. प्राथमिक शिक्षा:- हंटर आयोग का सबसे प्रमुख उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा ही था, इसलिए हंटर आयोग ने प्राथमिक शिक्षा के हर एक पक्ष को जोरदार से लिया और उस पर विभिन्न प्रकार के सुझाव दिए। हंटर आयोग के द्वारा प्राथमिक शिक्षा का अधिक से अधिक विकास (Development) होना जरूरी है। प्राथमिक शिक्षा छात्रों की मातृभाषा में ही देना मातृभाषा को ही माध्यम बनाया जाए, पिछड़े लोग जनजातीय आदिवासियों को भी अज्ञानता से बाहर किया जाए। हंटर आयोग ने सुझाव दिया, कि प्राथमिक शिक्षा का उत्तरदायित्व जिला बोर्ड, म्युनिसिपल बोर्ड, टाउन एरिया पर किया जाए, जबकि उनको आर्थिक व्यवस्था के लिए धनराशि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लिए अलग-अलग प्रकार से निश्चित की जाए। हंटर आयोग के द्वारा यह भी बताया गया, कि प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाए, जबकि प्राथमिक स्तर पर भी जीवन उपयोगी विषयों को सम्मिलित किया जाए।
  2. माध्यमिक शिक्षा :- हंटर आयोग ने माध्यमिक शिक्षा के विषय में भी सुझाव दिया है। उन्होंने बताया, कि भारतीयों को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए अवसर देने चाहिए तथा जो माध्यमिक शिक्षा के रास्ते में कठिनाइयां अनुभूत की जाती हैं उनको अनुदान प्रणाली तथा अन्य सुव्यवस्थित अनुदान के द्वारा दूर करने के प्रत्यन करना चाहिए।
  3. उच्च शिक्षा:- उच्च शिक्षा के संबंध में हंटर आयोग ने सुझाव दिया, कि आर्थिक सहायता स्वीकृत करते समय शिक्षण संस्था की क्षमता आवश्यकता के अध्यापकों और छात्रों की संख्या को ध्यान में रखकर शिक्षण संस्थानों को प्रयोगशालाओं वाचनालयों पुस्तकालय वैज्ञानिक उपकरणों भवन फर्नीचर के लिए समय-समय पर आर्थिक सहायता प्रदान की जाए तथा यह भी ध्यान रखा जाए की शिक्षा संस्थाएं आर्थिक सहायता का उचित उपयोग कर रही है या फिर नहीं।
  4. सहायता और अनुदान:- हंटर आयोग ने अनुदान या सहायता में एकरूपता लाने का सुझाव दिया है, क्योंकि भारत में अनुदान सहायता प्रणाली चल रही थी, किंतु इसमें एकरूपता नहीं थी। कहीं-कहीं पर वेतन अनुदान के रूप में दिया जाता था, तो कहीं पर परीक्षाफल के आधार पर, तो कहीं पर नियतकालीन के आधार पर वेतन प्रणाली प्रचलित थी, इसलिए हंटर आयोग ने संपूर्ण भारत में एक ही अनुदान प्रणाली का सुझाव दिया।
  5. धार्मिक शिक्षा :- धार्मिक शिक्षा के संदर्भ में आयोग ने सुझाव दिया, कि शासन द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों में धार्मिक शिक्षा की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। गैर सरकारी संस्थाओं के प्रबंधकों को अपने विद्यालय में धार्मिक शिक्षा देने अथवा ना देने के संबंध में स्वतंत्रता दे दी जाए। धार्मिक शिक्षा के संदर्भ में जो गैर सरकारी संस्थाएं हैं, उनको किसी भी प्रकार से बाध्य नहीं किया जाएगा, जबकि जिन सरकारी विद्यालयों में धार्मिक शिक्षा दी जा रही है, उनको देने वाले अनुदान और शिक्षा के स्तर शिक्षा व्यवस्था आदि को ध्यान में रखा जाए।
  6. साधनों का भारतीयकरण :- 1854 के बुड के घोषणा पत्र के अनुसार अधिक से अधिक संख्या में स्कूल और कॉलेज खोले जाने लगे, इसीलिए मिशनरियों ने भी अधिक विद्यालय खोलें अब अधिक विद्यालय खुल जाने के कारण सरकार को भी सोचना पड़ा, कि राजकीय स्कूल और कॉलेज के संबंध में क्या नीति अपनाई जाए, जबकि हंटर आयोग ने शिक्षा के व्यापक हित में सरकार को शिक्षा के क्षेत्र से हट जाने का ही सुझाव दिया।
  7. स्त्री शिक्षा :- स्त्री शिक्षा के संबंध में हंटर आयोग ने सुझाव दिया, कि बालिकाओं का पाठ्यक्रम बालको से अलग होना चाहिए, बालिकाओं के लिए जीवन से संबंधित विषयों को पाठ्यक्रम में समाहित किया जाना चाहिए, जबकि हंटर आयोग ने कहा, कि स्त्री शिक्षा की व्यवस्था का उत्तरदायित्व स्थानीय निकायों को सौंप देना चाहिए, और बालिकाओं के स्कूलों में पुरुष अध्यापक न रखकर महिला अध्यापक की व्यवस्था होनी चाहिए तथा महिला निरीक्षक के द्वारा समय-समय पर इसके लिए निरीक्षण कार्य होते रहने चाहिए। 
  8. मिशनरी शिक्षा :- मिशनरियों के संबंध में आयोग ने सुझाव दिया, कि भारत जैसे बड़े देश में जहां अनेक धर्म जातियाँ परंपराएँ पाए जाते हैं और पल हो रहे हैं, वहां पर उच्च शिक्षा किसी एक संस्था के हाथ में देना ठीक नहीं होगा चाहे वह संस्था कैसी भी उदार दृष्टिकोण क्यों ना अपनाती हो, इसीलिए हंटर आयोग ने यह सुझाव दिया कि मिशनरियों को उच्च शिक्षा के लिए अफसर प्रदान नहीं करना चाहिए।
  9. पिछड़ी जातियों की शिक्षा :- आयोग ने राजकीय स्कूलों में पिछड़ी जाति के बालकों को शिक्षा प्रदान करने के लिए पूरे अवसर प्रदान किया, जबकि आदिवासी तथा अन्य जनजाति के लोगों के लिए अलग से स्कूल खोलने का प्रस्ताव रखा।

दोस्तों यहाँ पर आपने हंटर आयोग क्या है (hunter aayog kya hai) हंटर आयोग 1882 हंटर आयोग के उद्देश्य तथा हंटर आयोग की सिफारिश में पड़ी आशा करता हूं आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। 

इसे भी पढ़े:- 

  1. विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग के सुझाव University education commission ke sujhav 
  2. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 National education policy 1968
  3. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 National Education policy

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