पोषक तत्व कितने है How Many Nutrients

पोषक तत्व कितने है How Many Nutrients  

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत बहुत स्वागत है इस लेख पोषक तत्व कितने है में (How Many Nutrients)। दोस्तों यहाँ से आप सीटेट विज्ञान वर्ग के महत्वपूर्ण टिप्स जानेंगे जो अक्सर शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में पूंछे जाते है,

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पोषक तत्व कितने है

आहार क्या है What is food 

भोजन :- भोजन को आहार भी कहा जाता है और भोजन वह एक पदार्थ होता है, जो हम जीवधारियों (Animals) या पेड़ पौधों (Plants) से प्राप्त करते हैं तथा उसे खाकर पोषक तत्वों को प्राप्त करके ऊर्जा मुक्त करते हैं इससे हमारे शरीर को वृद्धि तथा ऊर्जा मिलती है

और हम दिन भर के सारे क्रियाकलापों को करते हैं तथा अपने शरीर की वृद्धि करते हैं, इसलिए भोजन अर्थात आहार की जरूरत (Need) सभी जीव जंतुओ पेड़ पौधों को होती है।

संतुलित भोजन क्या है What is Balanced diet 

सभी जीव जंतुओं को भोजन की आवश्यकता होती है, भोजन के सभी घटकों की आवश्यकता होती है, जिनमें कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) प्रोटीन Protien) वसा (Fats) के साथ ही खनिज लवण (Minerals) विटामिन (Vitamin) और जल (Water) भी होने चाहिए और उनकी मात्रा ना अधिक होना चाहिए और ना कम होनी चाहिए अर्थात् एक निश्चित मात्रा होनी चाहिए वह निश्चित मात्रा ही संतुलित भोजन (Balanced Diet) के रूप में जानी जाती है,

अर्थात कह सकते हैं, कि किसी भी प्राणी की वृद्धि तथा विकास के लिए पोषक तत्वों (Nutrients) की एक निश्चित मात्रा संतुलित भोजन कहलाती है।

संतुलित भोजन के अंतर्गत एक सामान्य पुरुष को प्रतिदिन 90 ग्राम प्रोटीन (Protien) 400 से 500 ग्राम कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) 50 से 70 ग्राम वसा (Fats) तथा अन्य पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।

भोजन के प्रकार Type of food 

  1. जंतु भोजन :- जब जीवधारी अपना भोजन अन्य जीव जंतुओं से प्राप्त करते हैं, तो उसको हम जंतु भोजन के रूप में जानते हैं। जंतु भोजन के रूप में किसी भी जीव जंतु का मांस किसी भी जीव जंतु से प्राप्त होने वाले अंडा दूध आदि सभी जंतु भोजन के अंतर्गत आते हैं।
  2. वनस्पति भोजन :- जब जीव जंतु अपना आहार वनस्पतियों से प्राप्त करते हैं, तो उनको हम वनस्पति भोजन कहते हैं। कुछ वनस्पति ऐसी होती हैं, जिनका संपूर्ण भाग खाने योग्य होता है, तो कुछ वनस्पतियों का एक और एक से अधिक भाग भी खाने के योग्य होता है जैसे कि "सरसों का पेड़" सरसों के पेड़ से बीज प्राप्त होता है, जिससे सरसों का तेल प्राप्त होता है, जबकि पत्तियों से साग भी बनाया जाता है। वनस्पतियाँ विभिन्न प्रकार की होती हैं, जिनमें से कुछ खाने के योग्य तथा कुछ वनस्पतियाँ जहरीले भी होती हैं।

भोजन के आवश्यक घटक Component of food 

कोई भी भोजन हो उसमें विभिन्न प्रकार के घटक पाए जाते हैं और यह घटक कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) प्रोटीन (Protien) वसा (Fats) मिनरल्स (Minerals) जल (Water) विटामिन (Vitamin) आदि के रूप में होते हैं, जिनसे हमें ऊर्जा (Energy) प्राप्त होती है रोगों से रक्षा होती है और इन घटकों को ही हम पोषक तत्व (Nutrients) के रूप में जानते हैं।

कार्बोहाइड्रेट वे पोषक तत्व होते हैं, जो हमें ऊर्जा प्रदान करने का कार्य करते हैं, जबकि प्रोटीन हमारे ग्रोथ तथा बॉडी की रिपेयरिंग के लिए उत्तरदाई होती है। वहीं वसा भी ऊर्जा प्रदान करने का कार्य तथा हमारे शरीर का ताप नियमन करने का कार्य करते हैं, जबकि मिनरल्स तथा विटामिन हमारे शरीर को कई घातक रोगों से बचने का कार्य करते हैं।

पोषक तत्व के प्रकार, पोषक तत्व कितने है Type of Nutrients 

कार्बोहाइड्रेट Carbohydrates 

कार्बोहाइड्रेट कार्बन (Carbon) हाइड्रोजन (Hydrogen) और ऑक्सीजन (Oxygen) के सहयोग से बनते हैं, जिनमें इन तीनों का अनुपात 1:2:1 होता है। कार्बोहाइड्रेट से हमें 50 से 80% तक ऊर्जा प्राप्त होती है। एक ग्राम ग्लूकोस के ऑक्सीकरण से 4.2 किलो कैलोरी ऊर्जा हमें मिलती है।

कार्बोहाइड्रेट तीन प्रकार के होते हैं,

  1. मोनोसैकैराइड (Monosaccharide) :- यह सबसे सरल कार्बोहाइड्रेट होता है, जिसका उदाहरण ग्लूकोस हेक्सोज फ्रुक्टोज है 
  2. डाईसैकेराइड (Disaccharide) :- वह कार्बोहाइड्रेट जो मोनोसैकैराइड के दो अणुओ से मिलकर बना होता है, जिसका उदाहरण सुक्रोज और माल्टोज हैं।
  3. पॉलीसैकैराइड (Polysaccharide) :-  जो मोनोसैकैराइड के विभिन्न अणुओ के सहयोग से बनता है, जिसका उदाहरण ग्लाइकोजन सैलूलोज होते हैं। कार्बोहाइड्रेट गेहूं, चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, दूध, केला, आलू, शकरकंद, चुकंदर, रसीले फल, गन्ना, शलजम में प्रचुर मात्रा में देखने को मिलता है।

प्रोटीन Protien 

प्रोटीन अत्यंत जटिल नाइट्रोजन युक्त पदार्थ होते हैं जिनकी रचना 20 अमीनो अम्लों (Amino Acid) से होती है। प्रोटीन शब्द का सबसे पहले प्रयोग वर्जीलियस (Birgilius) नामक वैज्ञानिक (Scientist) ने किया था।

प्रोटीन का सबसे प्रमुख कार्य शरीर की वृद्धि तथा विकास करना कोशिकाओं की मरम्मत करना विभिन्न प्रकार के विटामिन  (Vitamin) तथा हार्मोन (Hormonse) के निर्माण में सहायता करना होता है, प्रोटीन के सबसे अच्छे स्रोत मांस मछली अंडा तथा दाल सोयबीन है।

वसा Fats 

वसा जंतु और वनस्पति दोनों प्रकार की होती हैं, जंतु वसा जंतु के दूध अंडा मछली मांस आदि से प्राप्त होती है, जबकि वनस्पति वसा हमें वनस्पतियों द्वारा उनके खाद तथा तेलों से प्राप्त होती हैं, जिनमें बादाम अखरोट नारियल सरसों आदि का प्रमुख स्थान है। वसा हमारे शरीर को 20 से 30% ऊर्जा देती हैं।

1 ग्राम वसा से 9.4 किलो कैलोरी ऊर्जा मुक्त होती है। वसा का सबसे प्रमुख कार्य शरीर के तापमान में नियमन (Temprature Regulation) बनाए रखना खाद्य पदार्थों को रुचिकर बनाना शरीर को बाहरी आघातों से बचाए रखना होता है। इसके प्रमुख स्रोत दूध मांस मछली मक्खन मूंगफली का तेल घी आदि होते हैं।

विटामिन तथा विटामिन के प्रकार Vitamin and type 

विटामिन कार्बन हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से मिलकर बनने वाले कार्बनिक पदार्थ होते हैं, जो हमारे शरीर को पोषण नहीं प्रदान करते बल्कि कई रोगों से रक्षा प्रदान करते हैं यह दो प्रकार के होते हैं:-

जल में घुलनशील विटामिन Water Soluble 

वे विटामिन जो जल में विलेय होते हैं, उनको जल में घुलनशील विटामिन कहा जाता है। यह विटामिन विटामिन बी और विटामिन सी होते हैं।

विटामिन बी Vitamin B

विटामिन बी को विटामिन बी कांप्लेक्स के नाम से जाना जाता है, जिनमें कई विटामिन एक साथ आते हैं। इन विटामिन को हम निम्न प्रकार से समझते हैं:- 

  1. विटामिन B1 :- विटामिन B1 का रासायनिक नाम थायमिन (Thiamine) होता है, जिसकी कमी से वेरी-वेरी (Bery-Bery) रोग हो जाता है। विटामिन B1 के स्रोत खमीर, गाजर, गेहूं, चावल, दूध समुद्री भोजन सोयाबीन आदि प्रमुख रूप से माने जाते हैं।
  2. विटामिन B2 :- विटामिन बी2 का रासायनिक नाम राइबोफ्लेविन (Riboflavin) होता है, जो कार्बोहाइड्रेट के उपापचय में भाग लेता है। इसकी कमी से शरीर के भार में कमी आ जाती है, यह विटामिन ईस्ट अंडा मांस हरी सब्जियां इत्यादि में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  3. विटामिन B3 :- विटामिन B3 का रासायनिक नाम नियासिन (Niacin) होता है। इसकी कमी से पेलाग्रा नामक रोग हो जाता है, तथा मानसिक और पाचन संबंधी बुखार देखने को मिलते हैं। यह विटामिन अंकुरित गेहूं, आलू, अनाज की बाहरी परत बादाम टमाटर पत्तीदार सब्जियों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  4. विटामिन B6 :- विटामिन B6 का रासायनिक नाम पारिडॉक्सिन (Pyridoxine) होता है। यह विटामिन शरीर की वृद्धि तथा विकास के लिए आवश्यक माना जाता है। इसकी कमी से एनीमिया नामक रोग तथा वृद्धि तथा विकास रुक जाता है। यह विटामिन हरी सब्जियाँ मास कलेजी इत्यादि में प्रचुर मात्रा में मिलता है।
  5. विटामिन B7 :- विटामिन बी7 का रासायनिक नाम बायोटीन (Biotin) होता है। यह विटामिन शरीर में विभिन्न उपापचय क्रियाओं के लिए उत्तरदाई माना जाता है इसकी कमी से साल की मांसपेशियों में दर्द कमजोरी भूख न लगना रक्त की कमी हो जाती है। यह विटामिन सबसे अधिक ईस्ट अंडा मांस मछली दाल में प्रचुर मात्रा में मिलता है।
  6. विटामिन B9 :- विटामिन B9 का रासायनिक नाम फोलिक एसिड (Folic acid) होता है, जिसकी कमी से एनीमिया नामक रोग हो जाता है तथा आरबीसी (RBC) की कमी होने लगती है। यह विटामिन ईस्ट कलेजी हरी सब्जियाँ संतरा आदि में प्रचुर मात्रा में मिलता है।
  7. विटामिन B12 :- विटामिन B12 का रासायनिक नाम साइनोकोबालामिन Cyanocobalamin) होता है। इस विटामिन की कमी से एनीमिया नामक रोग हो जाता है। विटामिन B12 में कोबाल्ट धातु पाई जाती है। यह विटामिन प्रचुर मात्रा में मांस फल दूध में पाया जाता है।

विटामिन सी Vitamin C 

विटामिन सी का रासायनिक नाम एस्कॉर्बिक एसिड (Ascorbic acid) होता है, यह विटामिन खट्टे फलों नींबू अमरूद में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह हमारे मसूड़े को सुरक्षा तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का कार्य करता है।

वसा में घुलनशील विटामिन Fat Soluble Vitamin 

वे विटामिन जो वसा में आसानी से घुल जाते हैं, उनको वसा में घुलनशील विटामिन के नाम से जाना जाता है, जो निम्न प्रकार से हैं:- 

विटामिन ए Vitamin A 

विटामिन ए का रासायनिक नाम रेटिनोल (Retinol) होता है, इसकी कमी से आंखों का रतौंधी नामक रोग हो जाता है। विटामिन ए का सेवन करने से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रहती है, तथा आंखों के रोग दूर होते है, बृद्धि तथा विकास अच्छा होता है। विटामिन ए गाजर मीठा नीम पत्ता गोभी केले पपीता आदि में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

विटामिन डी Vitamin D 

विटामिन डी का रासायनिक नाम कैलशिफ्रोल (Calciferol) है और यह विटामिन हमें सूरज की रोशनी द्वारा शरीर में उपस्थित आर्गेस्टीरोल से निर्मित हो जाता है। इस विटामिन की कमी से हड्डियां टेड़ी तथा शरीर की आकृति अनियमित हो जाती है, सूखा रोग हो जाता है, इसीलिए इस बीमारी से बचने के लिए हमें मांस मछली अंडा का सेवन तथा सूर्य के प्रकाश में टहलना चाहिए।

विटामिन ई Vitamin E

विटामिन ई का रासायनिक नाम टोकॉफरोल (Tocopherol) है और इस विटामिन को नपुंसकता का कारण माना जाता है। इस विटामिन की कमी से स्थाई नपुंसकता भी आ जाती है इसीलिए इस बीमारी से बचने के लिए अंकुरित अनाजों का सेवन अवश्य करना चाहिए।

विटामिन के Vitamin K

विटामिन के का रासायनिक नाम फिलिक्वोनान (filiconan) है, जो रक्त का थक्का जमाने में अहम भूमिका निभाता है। यह रक्त के थक्का जमाने में प्रोत्रांबिन के निर्माण में भूमिका अदा करता है।

खनिज लवण Minerals 

वे अकार्बनिक पदार्थ जो हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की जैव रासायनिक अभिक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनको खनिज लवण कहते हैं। यह खनिज लवण मानव शरीर में कम से कम 29 प्रकार के होते हैं और अलग-अलग प्रकार से कार्य करते हैं  जिनमे सबसे प्रमुख खनिज लवण निम्न है:- 

  1. सोडियम :- मानव शरीर में सबसे आवश्यक तत्व सोडियम होता है, जो पेशी के संकुचन तंत्रिका तंत्र में आवेग का संचरण रक्त के नियंत्रण तथा अन्य कई जैव रासायनिक क्रियाओ में भाग लेते हैं।
  2. पोटैशियम :- पोटेशियम का कार्य पेशी संकुचन, तंत्रिका तंत्र आवेग का संचरण शरीर में विद्युत अपघटन संतुलन को बनाए रखने तथा कोशिकाओं में होने वाले विभिन्न अभिक्रियाओं को संपादन करना होता है।
  3. कैल्शियम :- कैल्शियम भी मानव शरीर के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व होता है, जो विटामिन डी के साथ हड्डियों तथा दांतों को मजबूती प्रदान करता है तथा रुधिर के स्कंदन में भूमिका निभाता है।
  4. फास्फोरस :- फास्फोरस मानव शरीर के लिए महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है, जो दांतों तथा हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है तथा शरीर को तरल पदार्थ के संरचनात्मक संतुलन बनाए रखने में आवश्यक होता है।
  5. लोहा :- लोहा को आयरन के नाम से जाना जाता है, जो मानव शरीर में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लोहा लाल रुधिर कणिकाओं में हीमोग्लोबिन के साथ पाया जाता है तथा हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर यह ऑक्सीजन के वहन के रूप में कार्य करता है, इसकी कमी से रक्त की कमी होने लगती है।
  6. आयोडीन :- आयोडीन भी एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण तत्व है, क्योंकि आयोडीन यह ऐसा तत्व है, जो थायराइड ग्रंथि को थायराइड हार्मोन श्रावण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर आयोडीन की कमी होती है, तो मनुष्य में थायराइड नामक ग्रंथि फूल जाती है और उसे थायराइड नामक रोग हो जाता है।

जल Water 

मानव शरीर का सबसे लास्ट और महत्वपूर्ण पोषक तत्व जल होता है। हमारा शरीर लगभग 75% तक जल से निर्मित होता है। जल की कमी से कई प्रकार की जैव बायोलॉजिकल क्रियाएं संपादित नहीं हो पाती तथा व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है। जल ही हमारे शरीर से विभिन्न प्रकार के अपशिष्टों के उत्सर्जन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है यह हमारे शरीर में कोशिकाओं का बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है, मानव शरीर में 5 से 7 लीटर जल पाया जाता है।

दोस्तों अपने यहां पर पोषकतत्त्व कितने है, भोजन और उसके घटक आहार और पोषण (Food and Nutrution ) के बारे में पड़ा आशा करता हूं आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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