पाठ्यक्रम के प्रकार Type of Curriculum

पाठ्यक्रम के प्रकार Type of Curriculum 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख पाठ्यक्रम के प्रकार (Type of Curriculum) में। 

दोस्तों यहाँ पर आप पाठ्यक्रम के प्रकार पड़ेंगे. दोस्तों यह बीएड का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है यहाँ से परीक्षा में प्रश्न जरूर बनते है, तो आइये शुरू करते है, यह लेख पाठ्यक्रम के प्रकार:- 

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पाठ्यक्रम के प्रकार

पाठ्यक्रम के प्रकार Type of Curriculum 

पाठ्यक्रम के विभिन्न प्रकार है जिनमें से कुछ प्रमुख यहाँ समझाये गए है :- 

बाल केंद्रित पाठ्यक्रम 

बाल केंद्रित पाठ्यक्रम ऐसा पाठ्यक्रम होता है, जिसका निर्माण बालकों की सभी प्रकार की आवश्यकताओं उनकी रुचियों और प्रवृत्तियों को देखकर किया जाता है। साधारण शब्दों में कह सकते हैं, कि बालक की आवश्यकता के अनुसार जो पाठ्यक्रम निर्माणित किया जाता है उसको बाल केंद्रित पाठ्यक्रम कहते हैं, 

जिसमें मनोवैज्ञानिक विशेषताएँ भी होती हैं। इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत वह पाठय सामग्री विषयवस्तु रखी जाती है, जो बालक आसानी से सीख सकें। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की शिक्षण विधियाँ आती हैं, जैसे कि किंडरगार्डन मोंटेसरी डाल्टन आदि।

विषय केंद्रित पाठ्यक्रम

इस पाठ्यक्रम का निर्माण इस उद्देश्य से किया जाता है, कि इसमें विभिन्न विषयों का ज्ञान पृथक-पृथक रूप से दिया जाना चाहिए, इसलिए इसको विषय केंद्रित पाठ्यक्रम के नाम से जाना जाता है, अर्थात प्रत्येक विषय की यहाँ पर अलग-अलग पुस्तक लिखी जाती हैं, 

जिनसे बालकों को ज्ञान प्राप्त होता है। अतः इस प्रकार के पाठ्यक्रम में ज्यादातर पुस्तकों पर ही जोर दिया जाता है और भारत में आज के समय में इसी प्रकार का पाठ्यक्रम सर्वाधिक प्रचलित है। 

अनुभव केंद्रित पाठ्यक्रम

अनुभव केंद्रित पाठ्यक्रम का मतलब उस पाठ्यक्रम से होता है, जिसमें मानव जाति के अनुभव समाहित किए जाते हैं। इस प्रकार के पाठ्यक्रम पर सुप्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री टी पी नन ने विशेष जोर दिया था, किंतु यह पाठ्यक्रम ज्यादा सफल नहीं रहा।

शिल्प कला केंद्रित पाठ्यक्रम

यह शिल्प कला केंद्रित पाठ्यक्रम कहलाता है, क्योंकि शिल्प कला केंद्रित पाठ्यक्रम के अंतर्गत किसी शिल्प और क्राफ्ट को एक मुख्य भाग माना जाता है और इसी को आधार मानकर अन्य विषयों की शिक्षा प्रदान की जाती है। इसकी सबसे ज्यादा वकालत महात्मा गांधी के द्वारा की गई थी और उन्होंने इसे व्यावहारिक बनाने के लिए विशेष प्रयास किया था।

कार्य केंद्रित पाठ्यक्रम 

कार्य केंद्रित पाठ्यक्रम वह पाठ्यक्रम होता है, जिसमें विभिन्न क्रियाओ द्वारा छात्र और छात्राओं को शिक्षा देने की व्यवस्था की जाती है, योजना बनाई जाती है। इन क्रियाओ के द्वारा और कार्यों का आयोजन छात्रों की विभिन्न प्रकार की रुचियों की आवश्यकताओं उनके अनुभवों और बौद्धिक स्तर तथा सामाजिक मूल्यों को देखकर किया जाता है। 

कार्यों का चयन शिक्षक एवं विद्यार्थियों के परस्पर सहयोग से भी होता है, इसीलिए सुप्रसिद्ध प्रयोजनवादी शिक्षा शास्त्री जॉन ड्यूवी ने अपनी प्रोजेक्ट विधि में भी कार्य केंद्रित पाठ्यक्रम को सबसे प्रमुख स्थान दिया है। उनके द्वारा बताया गया, कि छात्र तथा छात्राओं को ऐसे कार्यों के द्वारा शिक्षा प्रदान करना चाहिए जिससे वे भविष्य में आत्मनिर्भर बन सके और जीवन व्यतीत कर सकें।

संबंधित पाठ्यक्रम 

संबंधित पाठ्यक्रम को और संबंध पाठ्यक्रम भी कहा जाता है, क्योंकि इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के विषयों में किसी न किसी प्रकार का परस्पर संबंध स्थापित किया जाता है और इस योजना से इसको निर्मित किया जाता है, कि एक विषय दूसरे विषय से किसी न किसी प्रकार से संबंधित हो। यह पाठ्यक्रम इस विचारधारा पर आधारित होता है, कि ज्ञान को अलग-अलग न बांटकर उनको एक इकाई के रूप में स्थापित किया जाए और संबंधित रूप से शिक्षा प्रदान करने का कार्य किया जाए।

कोर पाठ्यक्रम 

कोर पाठ्यक्रम वह पाठ्यक्रम होता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के विषयों का समावेश होता है, अर्थात हम कह सकते हैं, कि कोर पाठ्यक्रम एक बहुमुखी पाठ्यक्रम है, जिसके अंतर्गत कुछ विषय ऐसे होते हैं, जिन्हें विद्यार्थी को पढ़ना ही होता है, जिन्हें अनिवार्य विषय कहते हैं, जबकि कुछ ऐसे विषय होते हैं, जिनको विद्यार्थी अपनी इच्छा, समर्थ तथा योग्यता के अनुसार चुन सकता है जिनको हम वैकल्पिक विषय के नाम से जानते हैं, इसलिए कोर पाठ्यक्रम एक प्रकार से ना लचीला और ना ही कठोर होता है।

एकीकृत पाठयक्रम 

एकीकृत पाठयक्रम का तात्पर्य उस पाठयक्रम से है, जिसमें विभिन्न विषयों में परस्पर संबंध निहित होने के कारण उनमें एकरुपता पायी जाती है। पाठयक्रम में विषयों का निर्माण दो प्रकार से किया जाता है, प्रथम पाठ्यक्रम में विषयों को इस प्रकार स्थान दिया जाना चाहिए कि उनमें परस्पर किसी न किसी प्रकार का संबंध हो वहीं दूसरा पाठ्यक्रम में विषयों को इस प्रकार स्थान दिया जाना चाहिए, कि उनमें एक प्रकार का संबंध बना रहे इस प्रकार से एकता बनी रहे जो कि उनमें ज्ञान को एकता के सिद्धांत के अनुसार निहित हो।

दोस्तों यहाँ पर आपने पाठ्यक्रम के प्रकार (Type of Curriculum) के साथ अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों को पढ़ा, आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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