लैंगिक असमानता के कारण Laingik asamaanata ke kaaran
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दोस्तों यहाँ पर आप लैंगिक असमानता क्या है? लैंगिक असमानता के कारण के साथ लैंगिक विषमता को दूर करने के उपाय पड़ेंगे। तो आइये दोस्तों शुरू करते है, यह लेख लैंगिक असमानता के कारण:-
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लैंगिक असमानता क्या है What is gender inequality
लैंगिक असमानता या फिर लैंगिक विषमता का अर्थ सीधी तौर पर हम मान सकते हैं, कि जब लिंग के आधार पर महिलाओं पर किसी भी प्रकार का भेदभाव बहिष्कार या फिर कोई बंधन लगाया जाता है जिसका प्रभाव या उद्देश्य चाहे उसका वैवाहिक जैसा भी हो या फिर स्त्री पुरुष को समानता के आधार पर प्राप्त होने वाले अधिकारों को कमजोर करना या निष्पक्ष बनाना हो और महिलाओं को उनके मानव अधिकारों राजनीतिक आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक नागरिक या
किसी अन्य क्षेत्र में मौलिक स्वतंत्रताओं के उपभोग या इस्तेमाल से वंचित करना से होता है। वर्तमान में लैंगिक विषमता को शिक्षाविदों ने अलग-अलग प्रकार से वर्गीकृत किया है।
कुछ विद्वान स्त्री और पुरुष के बीच पाए जाने वाले व्यवहार विवेक का कारण जीव विज्ञान को मानते हैं जबकि कुछ विद्वान इसे सांस्कृतिक भी मानते हैं, जिसके कारण लैंगिक असमानता देखी जाती है।
लैंगिक असमानता के कारण Cause of gender inequality
- सामाजिक व्यवस्था:- सामाजिक व्यवस्था लैंगिक असमानता का सबसे प्रमुख कारण है, क्योंकि हिंदू सामाजिक व्यवस्था के आधार पर यह मानते हैं, कि पुत्री तो पराया धन होती है, पुत्री को वह किसी भी प्रकार से परिवार का भाग हिस्सा नहीं मानते। हिंदू धर्म के लोग पुत्री को एक ऐसा आभूषण मानते हैं, जो की गिरवी रखा हुआ है और जब उसका कानूनी मलिक अर्थात उसका विवाह होगा तो उसको उसे सौंप दिया जाएगा जो उसका हकदार है, जबकि हिंदू व्यवस्था के आधार पर कन्याओं को तीन प्रकार से दिया जाता है, दान विक्रय और उत्सर्ग दान विवाह के समय कन्यादान के रूप में दिखाई देता है, जबकि विक्रय धन लेकर वधू को दे दिया जाता है, वही उत्सर्ग का अर्थ होता है "त्यागना" इसी प्रकार से सामाजिक व्यवस्था में लैंगिक भेदभाव यौन प्रथकता के आधार पर भी देखने को मिल जाती है। यहाँ पर लड़कों को लड़कियों से अधिक सम्मान और बड़ा माना जाता है। उनके खेल भी अलग प्रकार के होते हैं, पढ़ाई की व्यवस्था और संस्कार भी अलग प्रकार से देखने को मिल जाते हैं, इसलिए स्पष्ट होता है, कि सामाजिक व्यवस्था लैंगिक असमानता में सबसे प्रमुख कारण होती है।
- निर्धनता:- लैंगिक असमानता का दूसरा कारण होता है निर्धनता और आज के समय में भारत में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले 30% लोगों में से लगभग 70% महिलाएं ही होती हैं। भारत में महिलाओं की निर्धनता का सबसे मूल कारण होता है, जो उनका आर्थिक अवसरों को ठीक प्रकार से उपलब्धता न हो पाना। महिलाएँ आज आर्थिक संसाधनों तक ठीक प्रकार से नहीं पहुंच पा रही हैं, उनका जो मालिकाना हक होता है, उत्तराधिकार होता है वह उससे वंचित होती जा रही हैं, इसीलिए आज के समय में आर्थिक व्यवस्थाओं पर सबसे बड़ा हाथ और उपभोग पुरुष ही कर रहा है, इस प्रकार निर्धनता लैंगिक भेदभाव के रास्ते में आती है और पित्तसत्तात्मक समाज में यह आर्थिक निर्भरता ही लैंगिक विषमता को जन्म देती है।
- निरक्षरता :- निरक्षरता भी लैंगिक असमानता का कारण है, जैसे की बेसिक शिक्षा के विस्तार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर हमेशा ही प्रयास किए जाते हैं और आज अगर बात करें तो 960 मिलियन महिलाएँ ऐसी हैं, जिनको पढ़ना लिखना नहीं आता है, अर्थात वह निरक्षर हैं और लगभग 2/3 महिलाएँ शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ेपन के कारण लैंगिक भेदभाव का शिकार होती है, जिसका सबसे प्रमुख कारण पुरुष और महिला में भेदभाव है। एक रिपोर्ट के अनुसार यहाँ पर 2001 में पुरुष साक्षरता दर 56% से 76% हो गई है तो वहीं महिला साक्षरता दर केवल 30% से 54% ही पहुंच पाई है इस प्रकार संपूर्ण स्थिति को अगर देखा जाए तो लैंगिक स्तर की यह निम्न स्थिति देखने को मिल जाती है, जबकि यह स्तर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग प्रकार से है, जैसे कि बिहार में महिला साक्षरता केवल 35 प्रतिशत ही है, वहीं केरल में 88 प्रतिशत महिला साक्षरता देखने को मिलती है, जबकि अरुणाचल प्रदेश, असम आदि कई राज्यों में महिला साक्षरता 50% पर ही सिमट कर रह गई है। लैंगिक भेदभाव के कारण बहुत से ऐसे रूढ़िवादी परिवार हैं, जो स्त्रियों के शिक्षा के पक्ष में नहीं होते ज्यादातर परिवार उनको प्राथमिक शिक्षा दे देते हैं, माध्यमिक शिक्षा भी दे देते हैं लेकिन उच्च शिक्षा के लिए किसी भी प्रकार का प्रबंध उनके द्वारा नहीं होता है। इसका मुख्य कारण लैंगिक विषमता वर्तमान स्थिति ही होती है और लोगों का साक्षर ना होना पुरानी रूढ़ि बड़ी थिंकिंग होना आदि इसके प्रमुख कारण हैं।
- रोजगार सुविधाओं का अभाव :- आज के समय में जो भी महिलाएँ ग्रामीण स्तर पर निवास करती हैं और जो कुछ महिलाएँ नगरीय स्तर पर भी निवास करती हैं वह अपने घरेलू भूमिका और जो आर्थिक अवसर हैं उनके बीच के द्वंद्व को बिल्कुल समझ नहीं पाती हैं और सुलझा नहीं पाती हैं, क्योंकि महिलाएं घर के कामों में ही अपना पूरा वक्त गुजार देती हैं और उन्हें नये अवसरों का लाभ उठा पाने का मौका ही नहीं मिल पाता है, इसका सबसे प्रमुख कारण है, कि घर पर उनके जो अधिकार कर्तव्य हैं उनका विभाजन बराबरी से नहीं होता है, घर के मुख्य संसाधनों पर पुरुष का अधिकार होता है, जबकि श्रम का पारंपरिक विभाजन महिलाओं को नई गतिविधियों में भाग लेने से रोक देता है। उन्हें प्रोत्साहन ही नहीं मिल पाता है, जैसे रोजगार सुविधाओं का महिलाओं के प्रति अभाव देखने को मिलता है और महिलाएँ अपने आप को लैंगिक विषमता लैंगिक भेदभाव के कारण ठगी सी महसूस करती हैं, जबकि कार्य कुशल होने के बावजूद भी उनको एक आर्थिक रूप नहीं मिल पाता है और वह अपना विकास नहीं कर पाती है।
- स्त्रियों के प्रति जागरूकता का अभाव:- निरक्षरता के कारण तथा घर से बाहर न निकलने के कारण बहुत सी स्त्रियाँ अपने मूल अधिकारों और योग्यताओं को जान ही नहीं पाती हैं ना हीं समझ पाती हैं, कि सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक शक्तियां उनके पास भी हैं। वे परिवार और समाज में व्याप्त इन सभी प्रकार की विधिक कार्य प्रथाओं को अज्ञानतावश स्वीकार कर लेती हैं, जबकि यह साफ-साफ संविधान की धारा 75 में लिखा हुआ है, कि राज्य लिंग के आधार पर नागरिकों में कोई भी भेदभाव नहीं करेगा परंतु फिर भी महिलाओं पर अत्याचार के रूप में यह भेदभाव साफ-साफ दिखाई देता है।
- शिक्षा के अवसरों में असमानता:- शिक्षा के अवसरों में असमानता भी लैंगिक विषमता का एक प्रमुख कारण है। प्रथम गरीब मां-बाप लड़कियों को आगे पढ़ा नहीं पाते हैं, क्योंकि वह घरेलू कामकाज में उनकी सहायता करती हैं और छोटे बड़े भाई बहनों को देखना भी पड़ता है, इसलिए यह उनकी पहली समस्या है, जबकि दूसरी समस्या में लड़कियों की शिक्षा एक फिजूल खर्ची मानी जाती है, क्योंकि उनका विवाह होकर उन्हें अपने घर जाना है, तीसरी घर से दूर स्कूल की समस्या होती है लोग अपनी लड़कियों को दूर विद्यालय कैसे पहुंचाएं और चौथा समस्या बड़ी उनकी सुरक्षा का प्रश्न से सम्बंधित है, इसलिए बहुत सी लड़कियां शिक्षा से वंचित रह जाती हैं। इस प्रकार से शिक्षा के अवसरों में असमानताएँ देखने को मिलती हैं और कई ऐसे घरेलू और बाहरी कारण होते हैं, जिससे महिलाओं को लड़कियों को शिक्षा के अवसर ठीक प्रकार से प्राप्त नहीं हो पाते हैं।
लैंगिक विषमता को दूर करने के उपाय Ways to eliminate gender inequality
- लैंगिक विषमता को दूर करने के लिए इसके शिक्षा का प्रसार न केवल अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए बल्कि निर्धन परिवार की गरीब कन्याओं को अच्छी छात्रवृत्ति नहीं जानी चाहिए, जिससे जो निर्धन माँ -बाप होते हैं, उनकी कन्याएं और उनकी शिक्षा बोझ ना लगे सभी छात्रावासों की अच्छे से व्यवस्था कराई जानी चाहिए और शिक्षा का आधुनिक अर्थों में व्यवसायीकरण किया जाना चाहिए। स्कूल के साथ ही एक उत्पादन केंद्र भी होना चाहिए, जहाँ पर स्त्री शिक्षा का उद्देश्य स्त्री को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना हो सके।
- आज भारत सरकार के द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएँ क्रियान्वित होती जा रही हैं, इसी शिक्षा पर राष्ट्रीय समिति की रिपोर्ट 1958-1959 कोठारी कमीशन रिपोर्ट 1964-1965 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968-1986 की रिपोर्ट के आधार पर महिलाओं के सशक्तिकरण पर बल दिया गया है और साथ ही इस तरह की शिक्षा प्राप्त करने के अधिक अवसर भी दिए गए हैं।
- स्त्रियों को स्थानीय स्तर पर अपने संगठन बनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और उनके संगठनों को सरकारी सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
- लैंगिक भेदभाव विषमता को दूर करने के लिए स्त्री सशक्तिकरण का सबल उपाय माना जाता है सभी राष्ट्र द्वारा इस ओर ध्यान देना चाहिए।
- गरीब माँ बाप को भी अपनी बेटियों को बोझ नहीं मानना चाहिए और उनको पढ़ाना चाहिए।
- लोगो को महिलाओ स्त्रियों का मार्गदर्शन करना चाहिए और उनको शिक्षा के लिए प्रेरित करना चाहिए पुरानी रुदीवादी सोच त्याग देना चाहिए।
दोस्तों यहाँ पर आपने लैंगिक असमानता के कारण Laingik asamaanata ke kaaran लैंगिक असमानता क्या है? लैंगिक असमानता के कारण के साथ लैंगिक विषमता को दूर करने के उपाय पढ़े। आशा करता हुँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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