पाठ्यक्रम के उद्देश्य तथा उपयोगिता Objectives of the curriculum
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत बहुत स्वागत है इस लेख पाठ्यक्रम के उद्देश्य तथा उपयोगिता (Objectives and usefulness curriculum) में। दोस्तों यहाँ पर आप पाठ्यक्रम के उद्देश्य, राष्ट्रीय पाठयक्रम के उद्देश्य के साथ ही पाठ्यक्रम की उपयोगिता के साथ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य पड़ेंगे। तो आइये शुरू करते है, यह लेख पाठ्यक्रम के उद्देश्य तथा उपयोगिता:-
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पाठ्यक्रम के उद्देश्य Objectives of the curriculum
पाठ्यक्रम मनुष्य की बुद्धि का विकास करता है, क्योंकि पाठ्यक्रम चिंतनशील मानव के लिए एक महत्वपूर्ण आधार प्रस्तुत करता है और बालक सत्य और असत्य को इसी के माध्यम से ही पहचानता है।
पाठ्यक्रम के अंतर्गत समस्त छात्र तथा छात्राओं की रुचियाँ उनकी योग्यताएँ, क्षमताएँ, अभिव्यक्तियाँ, तथा आवश्यकताएँ आदि की तृप्ति होने लगती है।
पाठ्यक्रम के द्वारा ही छात्र तथा छात्राएँ सामाजिक प्राकृतिक विज्ञानों कलाओं तथा धर्म के साथ परस्पर घनिष्ठ संपर्क करता है और मूल्यों का निर्धारण करने के योग्य अपनी क्षमता हासिल कर लेता है।
पाठ्यक्रम के द्वारा ऐसा वातावरण निर्मित होता है, जहाँ पर चिंतन तर्क निर्णय निरीक्षण आदि शक्तियों का विकास होने लगता है।
सत्य सेवा त्याग परोपकार सहयोग प्रेम आदि मनुष्य के नैसर्गिक गुण होते हैं और उनको विकसित करने के लिए आचरण करवाना पाठ्यक्रम का ही उद्देश्य होता है।
बालकों में प्रयुक्त सामाजिक दृष्टिकोण एवं संबंधों का विकास करना भी पाठ्यक्रम का उद्देश्य होता है।
पाठ्यक्रम का उद्देश्य होता है, कि बालक को राष्ट्रीय विरासत को समझें और उसमें निष्ठा रखने के योग्य बने।
पाठ्यक्रम की उपयोगिता Usefulness of the curriculum
शिक्षा के विभिन्न उद्देश्य होते हैं और उन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पाठ्यक्रम को निर्मित किया जाता है अर्थात पाठ्यक्रम का संगठन किस प्रकार से करना है? यह पाठ्यक्रम के उद्देश्य के ऊपर आधारित होता है, इसलिए पाठ्यक्रम की उपयोगिता पाठ्यक्रम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए मतलब शिक्षा के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए होती है इसे हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं:-
शिक्षा के उद्देश्य की प्राप्ति Achievements of aims of education
शिक्षा की व्यवस्था पाठ्यक्रम के ऊपर ही निर्भर होती है, इसीलिए जब तक पाठ्यक्रम को निर्धारण नहीं होगा तब तक शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति नहीं की जा सकती अर्थात कह सकते हैं, कि पाठ्यक्रम का स्वरूप ही शिक्षा के उद्देश्यों के लिए निर्मित किया जाता है। अतः पाठ्यक्रम शिक्षा के उद्देश्य को प्राप्त करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शिक्षण प्रक्रिया का व्यवस्थिकरण Organisation of educational process
पाठ्यक्रम के द्वारा ही शिक्षा की प्रक्रिया का व्यवस्थिकरण होता है, क्योंकि पाठ्यक्रम ही वह एक ऐसा लेखा-जोखा माना जाता है, जिसमें शिक्षा के किस स्तर पर विद्यालय में कौन-कौन सी क्रियाओ को प्रयोग में लाना है? कौन-कौन से विषय से छात्र-छात्राओं को शिक्षा दी जानी है? सभी प्रकार की चीजों को निर्धारित किया जाता है। अतः शिक्षण प्रक्रिया के व्यवस्थिकरण करने में सबसे महत्वपूर्ण स्थान पाठ्यक्रम का ही होता है। बिना पाठ्यक्रम के हम शिक्षा की प्रक्रिया को व्यवस्थित नहीं कर सकते और ना ही ठीक प्रकार से बच्चों को उनकी उम्र उनके बौद्धिक स्तर आदि के आधार पर शिक्षित कर सकते हैं।
क्या और कितना ज्ञान What and how much knowledge
पाठ्यक्रम अध्यापकों के लिए बहुत ही जरूरी होता है, क्योंकि इसके बिना यह पता नहीं लगाया जाता है, कि क्या कितना ज्ञान बालकों को देना है? पाठ्यक्रम के आधार पर ही ठीक प्रकार से अध्यापक काम कर पाते हैं और ठीक प्रकार से छात्र छात्रों को शिक्षित कर पाते हैं, क्योंकि पाठ्यक्रम की हमें यह बताते हैं, कि क्या और कितना ज्ञान किस स्तर के छात्र तथा छात्रा को दिया जाना है।
समय एवं शक्ति का समुचित उपयोग Proper use of time and energy
पाठ्यक्रम से अध्यापकों को यह पता चल जाता है, कि उन्हें क्या पढ़ाना है और कितने समय में पढ़ाना है? इसी प्रकार छात्रों को भी यह ज्ञान हो जाता है, कि उन्हें कितना पढ़ना है और कितने समय में उसको पूरा करना है। इस प्रकार शिक्षक और छात्र दोनों ही निश्चित समय के अंदर उसको पूरा कर लेते हैं अर्थात एक निश्चित पाठ्यक्रम को पढ़ लेते हैं, जिससे समय और शक्ति का भी सदुपयोग हो जाता है।
ज्ञानोपार्जन Acqisition of knowledge
ज्ञान प्राप्त करने में पाठ्यक्रम ही छात्र तथा छात्राओ की सहायता करता है, क्योंकि मानव ने अपनी सुविधा के लिए उसके अनेक भाग कर दिए जैसे की, हिंदी, साहित्य, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान इत्यादि अतः विभिन्न भागों में ज्ञानार्थ पाठ्यक्रम की रचना की गई है, ताकि विभिन्न विषय का सही प्रकार से ज्ञान प्राप्त हो सके।
पाठ्य पुस्तकों का निर्माण formation of books
पाठ्यक्रम निश्चित हो जाने पर विभिन्न प्रकार की पाठक पुस्तकों की रचना की जाती है। पाठक पुस्तकों में वह सामग्री रखी जाती है, जो किसी स्तर के पाठ्यक्रम में होती है और वह किसी स्तर के बालक तथा बालिकाओं को सिखाई जानी होती है। पाठ्यक्रम ना होने पर पुस्तकों में अनावाक्षित बातें भी हो सकती हैं, इसलिए पाठ्यक्रम पुस्तकों के निर्माण से निश्चित हो जाता है।
मूल्यांकन में सरलता Easyness evaluation
किसी कक्षा स्तर के पाठ्यक्रम के आधार पर ही उसे कक्षा के छात्रों की योग्यता का मूल्यांकन होता है, क्योंकि किसी भी कक्षा के स्तर का पाठ्यक्रम अलग-अलग होता है और उस पाठ्यक्रम को शिक्षक छात्रों को सिखाते हैं और फिर उसका मूल्यांकन भी होता है अर्थात कह सकते हैं, पाठ्यक्रम के अभाव में मूल्यांकन कठिन है।
नागरिकों का निर्माण Formation of citizen
शिक्षा का उद्देश्य उपयोगी और आदर्श नागरिकों का निर्माण भी करना होता है, कियोकि आदर्श और उपयोगी नागरिक होंगे जिनके पास पूर्ण रूप से विकसित शक्तियां होगी, वह कानून का पालन करेंगे, न्याय के अनुसार आचरण करेंगे, स्वयं मनन चिंतन और निर्माण की शक्तियाँ उनमें विधमान होगी इनके आधार पर देश का विकास होगा, इसीलिए पाठ्यक्रम नागरिकों के निर्माण में भी भूमिका निभाते हैं।
चारित्रिक विकास Development of character
चरित्र विकास की दृष्टि से शिक्षा पर विशेष बल दिया जाता है। बालकों के अंदर विभिन्न प्रकार के मानवीय गुणों जैसे कि, सत्य, सेवा, त्याग, परोपकार सद्भावना उत्पन्न किए जाते हैं। यह पाठ्यक्रम के द्वारा बड़े ही सुगमता से पूरा हो जाता है, इसलिए इन गुणों का विकास करने के लिए बालकों को अच्छी पुस्तक पाठ्यक्रम के अंतर्गत तथा विभिन्न शिक्षण सामग्री पाठ्यक्रम के अंतर्गत उपलब्ध कराई जाती है।
व्यक्तित्व का विकास Development of personality
बालकों के व्यक्तित्व के विकास की दृष्टि से भी पाठ्यक्रम बहुत ही उपयोगी माने जाते हैं। बालक तथा बालिकाओं के नैसर्गिक गुणों तथा शक्तियों को समुचित और उपयुक्त दिशा देने के लिए पाठ्यक्रम महत्वपूर्ण होते हैं, बिना नैसैर्गीक गुणों और शक्तियों के विकास के बिना व्यक्ति का समुचित विकास नहीं हो पता है।
दोस्तों यहाँ पर आपने पाठ्यक्रम के उद्देश्य तथा पाठयक्रम की उपयोगिता (Objectives and usefulness curriculum) के बारे में पढ़ा। आशा करता हुँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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