वर्धा शिक्षा योजना के उद्देश्य Wardha shiksha yojna ke uddeshy

वर्धा शिक्षा योजना के उद्देश्य Wardha shiksha yojna ke uddeshy 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख वर्धा शिक्षा योजना के उद्देश्य (Wardha Education Scheme Objective) में।

दोस्तों यहाँ पर आप महत्मा गाँधी की वर्धा शिक्षा योजना के बारे में जानेंगे, जिसमें वर्धा शिक्षा योजना के उद्देश्य तथा सिद्धांत के साथ आवश्यकता का भी वर्णन किया गया है। तो आइये शुरू करते है, यह लेख वर्धा शिक्षा योजना क्या है उद्देश्य तथा सिद्धांत:-

वर्धा शिक्षा योजना की विशेषताएँ

वर्धा शिक्षा योजना क्या है Wardha Education Scheme kya hai

वर्धा शिक्षा योजना जिसे बुनियादी शिक्षा, नई तालीम, बेसिक शिक्षा के नाम से भी जाना जाता है, वह महात्मा गाँधी के अथाह प्रयास के फलस्वरूप विचार में लायी गयी, जो एक ऐसी शिक्षा योजना थी

जिसमें हस्तशिल्प कला के प्रयास से लधु और कुटीर उद्योगों को विकसित कर रोजगार उत्पन्न करना था। गाँधी जी ने 23 अक्टूबर 1936 को अपने हरिजन पत्र द्वारा वर्धा शिक्षा योजना के विचारों का प्रचार करना शुरू किया, किन्तु बहुत से शिक्षाशास्त्री उनके

विचारों से सहमत नहीं थे। 1937 में भारत के नौ प्रांतो में कांग्रेसी मंत्रिमंडल स्थापित हुए तो महात्मा गाँधी ने अपनी शिक्षा योजना को लागू करने का विचार बनाया इसलिए वर्धा में भारत देश के लिए नई शिक्षा योजना

के लिए सम्मेलन हुआ जिनमें देश - विदेश के बड़े - बड़े शिक्षाशास्त्री थे, और इस शिक्षा सम्मेलन को अखिल भारतीय सम्मेलन कहा गया, जिसके सभापति महत्मा गाँधी थे। महत्मा गाँधी ने शिक्षा संबधित अपने विचार प्रकट किये जिस पर विचार किया गया और कुछ प्रस्ताव भी पारित हुए। 

वर्धा शिक्षा योजना के उद्देश्य Wardha Education ke uddeshy 

अखिल भारतीय सम्मेलन में गाँधी जी की शिक्षा योजना पर कई शिक्षाशास्त्रियों ने विचार विमर्श किए जिसके प्रमुख उद्देश्य निम्नप्रकार से है:-

  1. प्रत्येक बालक और बालिका को इस शिक्षा योजना द्वारा सात वर्ष तक नि:शुल्क शिक्षा (Free of Cost Education) दी जाएगी।
  2. सभी स्तर की शिक्षा का माध्यम (Medium of Education) मातृभाषा होंगी।
  3. बच्चों की शिक्षा का केंद्र शिल्पकला होंगी अर्थात किसी शिल्पकला को प्रत्येक कक्षा स्तर पर प्रमुखता दी जाएगी।
  4. इस शिक्षा प्रणाली का मुख्य उद्देश्य छात्र - छात्राओं को हस्तशिल्प कला के द्वारा उन्हें रोजगार लधु कुटीर उद्योगो से जोड़ना होगा।
  5. वर्धा शिक्षा योजना एक उद्योग केंद्रित शिक्षा होंगी।
  6. इस शिक्षा नीति द्वारा धीरे - धीरे शिक्षकों का वेतन भी निकलता आएगा।

वर्धा शिक्षा के सिद्धांत Principles of Wardha Education

वर्धा शिक्षा योजना के आधारभूत सिद्धांत निम्न प्रकार से हैं:-

  1. जन सामान्य की शिक्षा :- महात्मा गांधी का विचार था, कि शिक्षा पर सभी का समान अधिकार होना चाहिए शिक्षा सभी वर्ग और जाति धर्म के लोगों को मिलना चाहिए, क्योंकि जो अशिक्षित होते हैं, उनके लिए वह पाप और कलंक के समान हैं, इसलिए यह सभी के लिए अनिवार्य होगी।
  2. शिक्षा का स्वाबलंबी होना :- वर्धा शिक्षा योजना का मुख्य सिद्धांत था स्वावलंबन अर्थात गांधीजी चाहते थे, कि व्यक्ति स्वयं स्वावलंबी बने इसीलिए उन्होंने शिक्षा को स्वावलंबी बनाने की कोशिश की जिससे शिक्षा का व्यय भी आराम से निकल सकता था।
  3. नि:शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा :- महात्मा गांधी ने वर्धा शिक्षा योजना को बिल्कुल निशुल्क और अनिवार्य करने के प्रयास किए थे, उन्होंने कहा था जब बच्चे 14 वर्ष की अवस्था पूर्ण नहीं कर लेंगे तब तक राज्य उनको निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करता रहेगा।
  4. शिक्षा का सामाजिक रूप :- महात्मा गांधी बुनियादी शिक्षा के द्वारा शोषण विहीन और अहिंसा प्रधान समाज की स्थापना करना चाहते थे क्योंकि जब व्यक्ति शिक्षित होंगे तो वह स्वयं ही अपने अधिकारों के बारे में जानेंगे, रोजगार के अवसर सृजित करेंगे।
  5. शिक्षा में हस्तशिल्प की प्रधानता :- महात्मा गांधी का मानना था, कि शिक्षा को हस्तशिल्प से जोड़ा जाए अर्थात हस्तशिल्प को केंद्र बनाकर ही शिक्षा प्रदान की जाए जिससे बालक तथा बालिका छोटे लघु उद्योगों से जुड़ेंगे।
  6. शारीरिक श्रम का महत्व:- वर्धा शिक्षा योजना में शारीरिक श्रम को भी महत्व दिया गया है, जिसके चलते हस्तशिल्प को प्रधानता दी गई, हस्तशिल्प के द्वारा बालक तथा बालिकाओं को शारीरिक श्रम भी करना होगा और वह स्वस्थ भी होंगे।
  7. मातृभाषा का महत्व:- मातृभाषा का महत्व का सिद्धांत भी वर्धा शिक्षा योजना में दिखाई देता है, महात्मा गांधी का मानना था कि वर्धा योजना के तहत शिक्षा बालकों को उनकी मातृभाषा में ही दी जाए जिससे वह उनके लिए अति सरल और उपयुक्त होगी।

वर्धा शिक्षा की आवश्यकता Need of wardha education

वर्तमान में वर्धा शिक्षा योजना की आवश्यकता है, क्योंकि वर्तमान में जो शिक्षा दी जाती है, वह शिक्षा उद्योग से जुड़ी हुई नहीं है और आज भारत सहित विश्व में बड़े-बड़े उद्योग स्थापित होते जा रहे हैं,

जिनमें शारीरिक श्रम करने वाले मजदूरों की जगह कई मशीनों ने ली है, जिससे रोजगार के कई अवसर भी कम होते जा रहे हैं। अतः वर्धा शिक्षा योजना की वर्तमान में आवश्यकता है, क्योंकि वर्धा शिक्षा योजना के तहत हर एक स्तर पर इस शिक्षा को उद्योग से जोड़ा जाएगा,

हस्तशिल्प से जोड़ा जाएगा जिससे छात्र तथा छात्राएँ हस्तशिल्प के जरिए छोटे -छोटे लघु और कुटीर उद्योगों के प्रति आकर्षित होंगे और वह स्वयं ही अपनी शिक्षा का खर्च वहन करने में सक्षम हो जाएंगे तथा लघु और कुटीर उद्योगों से रोजगार (Employment) के अवसर भी सृजित होने लगेंगे।

दोस्तों आपने यहाँ पर वर्धा शिक्षा योजना क्या है वर्धा शिक्षा योजना के उद्देश्य तथा सिद्धांत (Wardha Education Scheme) के साथ अन्य तथ्य पढ़े। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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  1. संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 National Education policy
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