संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 Sanshodhit rashtriya shiksha niti 1992
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका इस लेख संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 (Revised National Policy on Education 1992) में बहुत - बहुत स्वागत है। दोस्तों इस लेख के माध्यम से आप संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 क्या है?
तथा संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 की विशेषताएँ क्या है? के साथ अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों को जान पायेंगे। तो आइये करते है, शुरू यह लेख संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992:-
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 National education Policy 1992
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 का मूल्यांकन करने के लिए सरकार ने 7 मई 1990 को एक समिति का गठन किया जिसकी अध्यक्षता आचार्य राममूर्ति ने की।
इस समिति ने 26 दिसंबर 1990 को ही अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत कर दी, जब केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक 1 मार्च 1991 को हुई तब रिपोर्ट पर विचार विमर्श किया गया।
किंतु केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड के अधिकतर सदस्य इस समीक्षा से संतुष्ट नहीं थे, इसलिए सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 का मूल्यांकन करने के लिए एक बार फिर से समिति का गठन 1992 किया
इस बार इस समिति का अध्यक्ष आंध्र प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री जनार्दन रेडी को बनाया गया। समिति के द्वारा 1986 राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूल्यांकन उसकी कार्य योजना का अध्ययन करके
अपनी रिपोर्ट को जनवरी 1992 में सौंप दिया। उसके बाद केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड ने उस रिपोर्ट का अध्ययन किया और यह निष्कर्ष निकाला कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बहुत ही कम संशोधन की आवश्यकता है।
इस प्रकार से भारत सरकार (Indian Govt) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 को ही संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 में परिवर्तित करके लागू कर दिया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 की सिफारिशें Recommendations of National Policy on Education 1992
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में कई प्रकार के संशोधन कर दिए गए। इसके पश्चात संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 प्रस्तुत की गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 की विशेषताएँ निम्न प्रकार से हैं:-
राष्ट्रीय शिक्षा व्यवस्था National education system
संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 में सबसे पहला मुद्दा शिक्षा व्यवस्था था, कि संपूर्ण देश में शैक्षिक संरचना (Educational structure) किस प्रकार की होनी चाहिए।
इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 के अंतर्गत सारे देश में एक ही प्रकार की शिक्षा व्यवस्था (Education system) 10+2+3 को लागू किया गया।
जिसमें पहले 5 वर्ष प्रारंभिक स्तर Primary Lavel के अगले 3 वर्ष उच्च प्राथमिक स्तर Middle Lavel के तथा इसके पश्चात के 2 वर्ष हाई स्कूल High School तथा अगले 2 वर्ष हायर सेकेंडरी Higher Secondary leval तथा अगले 3 वर्ष स्नातक स्तर Graduate Lavel के होंगे यही देश के हर एक राज्य में शिक्षा संरचना लागू की जाएगी।
साक्षरता मिशन के माध्यम से निरक्षरता को दूर करने के लिए प्रोढ़ शिक्षा का प्रावधान भी इस शिक्षा नीति में रखा गया। 15 से 35 आयु वर्ग के समस्त लोगों को साक्षरता अभियान के तहत जोड़ दिया जायेगा
और विभिन्न साधनों के द्वारा केंद्रीय सरकार Central Govt और राज्य सरकार State Govt के साथ राजनीतिक दलों विभिन्न प्रकार के सरकारी और गैर सरकारी संगठनों जनसंचार माध्यम कई प्रकार की शैक्षिक संस्थाओं
शिक्षकों छात्रों और युवाओं को साक्षरता मिशन में तत्परता दिखाने के लिए प्रेरित किया जायेगा, जिससे साक्षरता कार्यात्मक ज्ञान कौशल तथा शिक्षार्थियों में सामाजिक एवं आर्थिक वास्तविकता की
समझ उत्पन्न हो सके तथा यह एक बड़ा वर्ग है जो निरक्षरता के अंधेरे में है, वह भी साक्षरता के उजियारे में अपनी चमक बिखेर सके।
साक्षरता अभियान (Literacy Campaign) के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के विकास कार्यक्रमों में सभी प्रकार के सहयोगियों का विशेष महत्व होता है।
जो सभी राष्ट्रीय लक्ष्यों को जैसे निर्धनता को दूर करना राष्ट्रीय एकता जागृत करना पर्यावरण का संरक्षण करना है। छोटे परिवारों को आदर्श परिवार तथा उनका पालन पोषण में मदद करना।
महिलाओं की समानता के लिए लड़ना, प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण और स्वास्थ्य आदि पर ध्यान देना आदि में सभी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
यह लोगों को सांस्कृतिक सृजन शीलता का संवर्धन और विकास प्रक्रियाओं में उनका उत्तरदायित्व समझते हैं, जिसमें उन सभी का विकास भी सम्मिलित होता है।
जो वर्ग प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं, उनके साक्षरता को और अधिक उन्नत तथा स्थायी बनाया जाना चाहिए उनको योग्य बनाया जाना चाहिए।
उनके रहन-सहन और कार्य करने की दशा उनकी उन्नति और विचार तथा साक्षरता सतत कार्यक्रम में नवयुवकों को भागीदारी प्रदान की जाएगी इस कार्यक्रम में वे निम्न प्रकार से सम्मिलित होंगे:-
मजदूर वर्ग के लोगों को अशिक्षित लोगों को विभिन्न प्रकार के संगठन में कार्य करने वाले सरकारी गैर सरकारी श्रमिकों को शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
देश में सरकारी और गैर सरकारी पुस्तकालयों Library और वाचनालयों को अधिक सुधार तथा विकसित किया जाना चाहिए।
दूरस्थ शिक्षा (Distance education) के कार्यक्रम होंगे, जन शिक्षा, समूह शिक्षा, रेडिओ, दूरदर्शन, तथा फिल्मो के माध्यम से दी जाएगी।
प्रारंभिक शिक्षा Primary education
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत प्रारंभिक शिक्षा में निम्न बातों पर विशेष बल दिया गया है:-
सार्वभौमिक प्रवेश और नामांकन, 14 वर्ष के आयु वाले सभी छात्र-छात्राओं का सार्वभौमिक टिकाव, छात्र-छात्राओं को शिक्षा Education ग्रहण करने के लिए आवश्यक स्तर प्राप्त कराने के लिए तथा छात्र-छात्राओं को योग्य बनाने के लिए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार।
विद्यालय में सुविधाएँ Facilities in the school
सभी प्रकार के प्राथमिक विद्यालयों में आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था अवश्य की जानी चाहिए। ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड के द्वारा प्रत्येक विद्यालय में 3 बड़े कमरे जो सभी प्रकार के मौसम में
उपयोग करने लायक हों, कमरों में ब्लैकबोर्ड, मानचित्र और चार्ट के साथ खिलौने हो, प्राथमिक स्तर के बच्चों को सीखने के लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध हो, इसके साथ ही पुस्तकालय की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
ऐसे विद्यालयों में कम से कम एक विद्यालय में 3 शिक्षक अवश्य होंगे छात्र-छात्राओं की संख्या शीघ्र बढ़ती है तो और शिक्षकों की नियुक्ति होगी।
भविष्य में चुने गए शिक्षकों में 50% महिला शिक्षिकाएँ होंगी, जबकि विद्यालय भवनों के निर्माण में और मरम्मत में जवाहर योजना Jawahar Yojana की निधियों का उपयोग किया जाएगा।
अनौपचारिक शिक्षा Informal education
औपचारिक शिक्षा उन छात्र-छात्राओं के लिए होगी जो छात्र-छात्राएँ स्कूल छोड़ चुके हैं, या फिर स्कूल रहित क्षेत्रों में रह रहे हैं, या वे छात्र छात्राएँ जो कोई भी काम करने के कारण विद्यालय नहीं आ सकते
उन छात्र-छात्राओं के क्षेत्रों में अनौपचारिक शिक्षा के कार्यक्रम विस्तृत किए जाएंगे। अनौपचारिक शिक्षा के चलाने की जिम्मेदारी स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ ही पंचायती राज संस्थाओं की होगी।
इन संस्थाओं को समय के साथ धन और शिक्षण सामग्री Educational Material की भी व्यवस्था की जाएगी।
एक संकल्प A resolution
एक संकल्प के तहत यह सुनिश्चित किया जाना होगा, कि भारत का 21 वीं सदी में पहुँचने से पूर्व ही 14 वर्ष तक के सभी छात्र छात्राओं को निशुल्क और अनिवार्य (Free and Compulsory Education) शिक्षा प्रदान की जा सकेगी।
माध्यमिक शिक्षा Secondary education
माध्यमिक शिक्षा में विशेषकर विज्ञान, वाणिज्य व्यावसायिक धाराओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों की लड़कियों के नामांकन पर अधिक बल दिया जाएगा
और उन्हें विस्तृत किया जाएगा, इसके लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद पुनर्गठित की जाएगी। माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता को विकसित किया जाएगा।
माध्यमिक स्तर पर कंप्यूटर साक्षरता (Computer literacy) भी प्रदान की जाएगी, जिससे बच्चे आने वाले समय में तकनीकी रूप से भी शिक्षित हो सकेंगे।
खुला विश्वविद्यालय और दूरस्थ अध्ययन Open University and Distance Learning
इसके अंतर्गत 1985 में स्थापित किया गया इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (Indira Gandhi National Open University) को और अधिक मजबूत किया जाएगा।
तथा राज्यों में खुले विश्वविद्यालयों को सहायता प्रदान होगी, जबकि राष्ट्रीय खुले विद्यालयों को भी अधिक मजबूत किया जाएगा और उन्हें महत्वपूर्ण सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।
नवोदय विद्यालय की स्थापना Establishment of Navodaya Vidyalaya
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 के अंतर्गत गरीब प्रतिभाशाली छात्रों के लिए नवोदय विद्यालय की स्थापना की जाएगी, जिसमें छात्रों के लिए शिक्षा के साथ ही रहने खाने की निशुल्क व्यवस्था की जाएगी।
इन विद्यालयों में छात्र कक्षा पांचवी के बाद प्रवेश ले सकेंगे तथा कक्षा आठवीं पास करने के बाद अन्य राज्यों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जा सकेंगे, जिससे उनमें राष्ट्रीय एकता की भावना विकसित होगी।
डिग्री को नौकरी से अलग Degree out of job
मापन और मूल्यांकन में व्यापक सुधार किया जाएगा तथा डिग्री को नौकरी से अलग रखा जाएगा। छोटी-मोटी नौकरियों के लिए डिग्री का होना आवश्यक नहीं होगा।
योग कार्यक्रम Yoga program
शारीरिक और मानसिक विकास के लिए योग शिक्षा (Yoga Education) पर भी विशेष बल दिया जाएगा। सभी प्रकार के विद्यालयों में
योग शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी तथा शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में योग शिक्षक और पाठ्यक्रम की भी व्यवस्था होगी।
मूल्यांकन प्रक्रिया और परीक्षा में सुधार Evaluation process and exam improvement
परीक्षण निकायों के मार्गदर्शन के लिए तथा उन्हें सहायता देने के लिए परीक्षा सुधार ढांचा विशेष प्रकार से तैयार किया जाएगा।
इसमें विशेष परिस्थितियों में एक ढांचे को अंगीकृत किया जाएगा और परिवर्तित करने की भी स्वतंत्रता प्रदान की जाएगी।
शिकायतों का निराकरण Redressal of complaints
राष्ट्रीय स्तर पर और राज्य स्तर पर नए ढंग से प्रशासनिक न्यायाधिकारों के उपरांत शैक्षिक न्यायाधिकार भी स्थापित होंगे।
दोस्तों इस लेख में आपने संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 क्या है (Revised National Policy on Education 1992) के साथ संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992 की विशेषताएँ पड़ी आशा करता हुँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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