केशवदास का जीवन परिचय Keshavdas Ka jivan Parichay
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है इस लेख केशवदास का जीवन परिचय (Keshavdas Ka jivan Parichay) में। दोस्तों यहाँ पर आप केशवदास का साहित्यिक परिचय जान पायेंगे जो कक्षा 9 से कक्षा 12 वी तक पूँछा जाता है। तो आइये शुरू करते है, यह लेख केशवदास का जीवन परिचय :-
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केशवदास का जन्म कब हुआ था When was born keshavdas
केशवदास हिंदी साहित्य के एक महान विभूति हैं, जो रीतिकाल के एक प्रभावशाली और लक्षण कवि माने जाते हैं, क्योंकि इनको रीतिकाल के कवि त्रयी प्रवर्तक कहा जाता है। महान कवि केशवदास के जन्म के बारे में इतिहासकारों को कोई प्रमाणित साक्ष्य प्राप्त नहीं है
और विद्वानों के बीच उनके जन्म और जन्म स्थान को लेकर मतभेद ही बना रहता है, जबकि रामचंद्र शुक्ल जी कहते हैं, कि केशवदास जी का जन्म 1555 ई, के लगभग हुआ था,जबकि उनकी मृत्यु 1617 भी ईस्वी में बताई जाती है। प्राप्त साक्ष के अनुसार बताया जाता है, कि केशवदास का जन्म उत्तर प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध राज्य ओरछा में ही हुआ था, जो झांसी जिला में स्थित है और बेतवा नदी के किनारे है।
केशवदास को महाराज रामसिंह जो ओरछा की महाराज थे उनके दरबार में सम्मान प्राप्त था और एक विशेष स्थान भी। कहा जाता है, कि ओरछा के नरेश महाराजा रामसिंह के भाई इंद्रजीत थे और उनके दरबार में ही केशवदास मंत्री के साथ ही गुरु के पद पर महाकवि के पद पर आसीन थे। केशवदास नीति पूर्ण स्पष्टवादी और प्रतिभा के बहुत ही धनी व्यक्ति थे, इसलिए राजा महाराजा उनको बहुत ही आदर सम्मान प्रदान किया करते थे। केशवदास जी ने रीतिग्रंथ लिखे और संस्कृत की शास्त्रीय पद्धति को हिंदी में प्रचलित करने में अपना बहुत ही बड़ा योगदान दिया।
केशवदास की काव्य कला Keshavdas ki kavya kala
केशवदास हिंदी साहित्य के रीतिकाल के महान कवि हैं उन्होंने हिंदी साहित्य को विभिन्न लक्षण ग्रंथ, प्रबंध काव्य और मुक्तक प्रदान किए हैं. केशव जी ने विभिन्न प्रकार की रचनाओं से हिंदी साहित्य को सौंदर्य प्रदान किया है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण रचनाएं रसिक प्रिया कवि प्रिया है और छंदमाला जैसे लक्षण ग्रंथ है।
इसके अलावा केशव जी ने व्यवस्थित समय ग्रंथ भी प्रस्तुत किए हैं, जो कार्य और कोई कर ही नहीं सकता। केशव जी का विलक्षण स्वरुप उनकी रचनाओं में दृष्टिगोचर होता है, क्योंकि केशव जी ने मन के भावों को इस प्रकार से सुंदर व्यंजना से अभिभूत किया है, कि मध्यकाल में किसी के पंडित्य और विद्वता की परख की कसौटी की केशव की कविता रसिकप्रिया जैसी रचना करने के कारण ही उनको काव्य का कठिन प्रेत के नाम से जाना जाता है।
केशवदास की प्रमुख रचनाएँ Composition of Keshavdas
केशव दास जी हिंदी साहित्य के विभिन्न गुणों में परिपूर्ण थे, इसीलिए उन्होंने दरबार में मंत्री और गुरु के पद पर रहते हुए हिंदी साहित्य से लगाव बनाए रखा और हिंदी साहित्य को विलक्षण रचनाएं प्रदान की। कविप्रिया, रसिकप्रिया, वीरचरित्र, रामचंद्रिका, जहांगीरजस विज्ञानगीता, चन्द्रिका आदि सबसे प्रमुख मानी जाती हैं।
केशवदास जी ने संस्कृत के प्रबोध चंद्रोदय नाटक के आधार पर विज्ञानगीता का निर्माण किया है और जहांगीरजस मुगल सम्राट जहांगीर के दरबार के बारे में ffffबताती है, जबकि रामचन्द्रिका का लेखन उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास के कहने के अनुसार किया था, इसके अलावा केशव जी की अन्य विभिन्न रचनाऐं ऐसी हैं, जो हिंदी साहित्य में अमूल्य स्थान प्राप्त करती हैं।
केशवदास का भाव पक्ष Keshavdas ka Bhav Paksh
केशवदास हिंदी साहित्य के रीतिकाल के एक महान कवि हैं। रीतिकाल में भी वह रीतिकाल की तीन शाखों में से रीतिबद्ध कवि हैं, अतः उस काल के अनुसार उन्होंने हिंदी साहित्य को श्रृंगार रस से युक्त विभिन्न उत्तम रचनाएं प्रदान की हैं और श्रृंगार रस का अद्भुत प्रयोग उन्होंने अपनी रचनाओं में किया है।
महाकवि केशवदास की विभिन्न रचनाऐं ऐसी हैं, जिनमें श्रृंगार रस के दोनों ही पक्षों सहयोग श्रृंगार और वियोग का बड़ा ही अनुपम सामंजस्यपूर्ण प्रयोग देखने को मिलता है, जबकि वीर रस का प्रयोग भी संवादों और पात्रों के अनुसार दिखाई देता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में शांत रस का प्रयोग किया है यह कहा जा सकता है, कि उन्होंने जिस स्थान पर जिस भी छंद रस अलंकार की जरूरत है उसके अनुसार ही अपनी रचनाओं को रचित किया है। केशव दास जी दरबारी कवि हैं, क्योंकि वह ओरछा नरेश के दरबार में कवि गुरु और मंत्री के पद पर रहे हैं, इसलिए उनकी रचनाओं में नीति तत्व की प्रधानता साफ-साफ देखने को मिल जाती है और नैतिक मूल्यों की रक्षा भी उन्होंने अपनी कविताओं में बड़ी ही आश्चर्यजनक ढंग से की है।
केशवदास का कला पक्ष Keshavdas ka Kala Paksh
केशवदास जी ने अपने काव्य में अपनी कविताओं में सबसे प्रमुख स्थान बृज भाषा को दिया है, जबकि कहीं-कहीं पर अन्य शब्दों का भी प्रयोग जैसे की संस्कृत भाषा का भी प्रयोग देखने को मिल जाता है। उनकी रचना बहुत ही साफ सुथरी तथा बिल्कुल सहज सरल प्रभावशाली भाषा में लिखी हुई है, जबकि बात करें शैली की तो सबसे प्रमुख शैली को स्थान उन्होंने प्रबंध शैली और मुक्तक शैली को दिया है, क्योंकि उनकी यह शैलियाँ अलंकार प्रधान और व्यंग प्रधान है।
केशव दास जी की रचनाओं में विभिन्न अलंकारों का प्रयोग हुआ है, जिनमें सबसे प्रमुख स्थान उपमा रूपक और उत्प्रेक्षा अलंकार का है। वहीं कहीं कहीं पर अतिशयोक्ति अलंकार भी दिखाई देता है बात करें अगर छंद की तो सोरठा चौपाई और कवित्त छंदों का प्रयोग करके उन्होंने अपनी रचनाओं को बहुत ही आकर्षक और मनमोहन बना दिया है।
केशवदास का साहित्य में स्थान Keshavdas ka sahitya me sthan
केशव दास जी को हिंदी साहित्य में आचार्य के नाम से जाना जाता है, क्योंकि वह रीतिकाल के एक महान प्रवर्तक कवि तथा ओरछा के महाराज के दरबार में गुरु के पद पर भी आसीन थे। उन्हें उच्च कोटि के रसिक कवि के नाम से भी ख्याति प्राप्त है वह निर्भीक स्पष्टवादी और प्रेम के गुणों से परिपूर्ण कवि हैं, उनके लक्षण ग्रंथ हमेशा ही इस स्मरणीय रहेंगे।
दोस्तों यहाँ पर आपने केशवदास का जीवन परिचय (Keshavdas Ka jivan Parichay) केशवदास का साहित्यिक परिचय आदि पढ़ा, आशा करता हुँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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