पाठ्यक्रम की विशेषताएँ Features of Curriculum
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है इस लेख पाठ्यक्रम की विशेषताएँ (Features of Curriculum) में। दोस्तों इस लेख के माध्यम से आप पाठयक्रम की विशेषताएँ, समझेंगे तथा जानेंगे की पाठ्यक्रम किस प्रकार से विशेष होता है शिक्षण में। अच्छे पाठ्यक्रम की क्या विशेषतायें होती है। तो आइये शरू करते है यह लेख पाठ्यक्रम की विशेषताएँ:-
इसे भी पढ़े :- पाठयक्रम का अर्थ और परिभाषा
पाठ्यक्रम की विशेषताएं Features of Curriculum
- व्यापकता:- वर्तमान में पाठ्यक्रम का स्वरूप व्यापकता पर आधारित है, क्योंकि इसमें विषय के अध्ययन के लिए विभिन्न प्रकार की विधियाँ विभिन्न प्रकार के उद्देश्य और सिद्धांतों का वर्णन होता है। प्रत्येक विषय के पक्ष को व्यापकता से स्पष्ट किया जाता है। पाठ्यक्रम की अवधारणा में प्रत्येक क्रिया को स्पष्ट करते हुए योजना बनाई जाती है प्रस्तुत की जाती है।
- विषय की उपयोगिता:- वर्तमान में जो पाठ्यक्रम प्रस्तावित है, उस पाठ्यक्रम में विषय की उपयोगिता पर बहुत ही ज्यादा ध्यान दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर हम पर्यावरण शिक्षा को ले सकते हैं, पर्यावरण शिक्षा सभी के लिए बहुत आवश्यक है, इसलिए पर्यावरण शिक्षा को पाठ्यक्रम में प्राथमिक स्तर से ही शामिल कर दिया है, क्योंकि यह मानव जीवन का अभिन्न अंग है और प्रत्येक व्यक्ति पर्यावरण से जुड़ा हुआ है, इसीलिए पाठ्यक्रम में जिस विषय की उपयोगिता अधिक होती है उसको जोड़ दिया जाता है।
- संसाधनों की उपलब्धता:- पाठ्यक्रम संसाधनों की उपलब्धता पर भी आधारित होता है, यदि किसी विषयवस्तु को पाठ्यक्रम में समाहित करना है और उस स्तर पर विद्यालय में उस विषय वस्तु को पूर्ण रूप देने के लिए किसी भी प्रकार की सामग्री संसाधन उपलब्ध नहीं है, तो पाठ्यक्रम के अंतर्गत उस विषय वस्तु को जगह नहीं दी जाती है। पाठ्यक्रम में उस ही विषय वस्तु को जगह दी जाती है, जिसको पूर्ण करने के लिए सभी प्रकार के संसाधन विद्यालय में किसी भी स्तर पर उपलब्ध हो।
- छात्रों का स्तर:- पाठ्यक्रम का निर्माण छात्रों के स्तर को देखकर किया जाता है, जो छात्र सामान्य और प्रतिभावान होते हैं उनके लिए अलग से पाठयक्रम, जबकि मंद बुद्धि तथा मानसिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं के लिए अलग से पाठ्यक्रम निर्धारित किया जाता है, ताकि वह उस पाठ्यक्रम को पूर्ण कर सकें इसलिए पाठ्यक्रम में छात्रों की योग्यता और स्तर का विशेष ध्यान रखा जाता है।
- शिक्षकों के दायित्व :- किसी भी पाठ्यक्रम को पूरा करने में शिक्षकों का उत्तरदायित्व सबसे ज्यादा होता है , इसीलिए इस व्यवस्था के अंतर्गत शिक्षकों के व्यवहार और शिक्षक विधियों में उनके दायित्वों का वर्णन होता है जैसे की बाल केंद्रित शिक्षण विधि में शिक्षक की भूमिका सहायक की होती है, जबकि शिक्षक केंद्रित पाठयक्रम के अंतर्गत शिक्षक की भूमिका प्रमुख होती है और छात्र गोण रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
- सामाजिक आकांक्षा का समावेश:- पाठ्यक्रम के अंतर्गत सामाजिक आकांक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। प्राचीन काल में समाज की आकांक्षा आध्यात्मिकता और आदर्शवादिता पर आधारित थी, लेकिन आज के समय में परिवर्तन हो गया है और आज आकांक्षा प्रयोजनवाद से जुड़ गई है, इसलिए वर्तमान पाठ्यक्रम जो है, वह प्रयोजनवादी दर्शन की विचारधारा पर आधारित होते हैं और उनमें प्रयोजनवादी दर्शन की विचारधारा दिखाई देती है।
- राष्ट्रीय आकांक्षा का समावेश:- पाठ्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय आकांक्षा का समावेश भी बहुत जरूरी है, क्योंकि हर एक व्यक्ति से ही राष्ट्र जुड़ा हुआ है, इसलिए पाठ्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्र की आकांक्षा जरूर होनी चाहिए। भारतीय विद्यालयों में पाठ्यक्रम का स्वरूप नैतिकता परंपराओं संस्कृत व्यवस्था से जुड़ा हुआ होना चाहिए, जबकि पश्चात देश में पाठ्यक्रम स्वार्थ और खुद के लाभ पर आधारित होता है, इसीलिए पाठ्यक्रम में राष्ट्र की आकांक्षा एक महत्वपूर्ण साधन होती है।
- निर्देशन और परामर्श का समावेश:- निर्देशन और परामर्श पाठ्यक्रम में बहुत ही जरूरी होता है। पाठ्यक्रम में शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों के लिए शिक्षा के उत्तरदायित्व और निर्देशन की व्यवस्था होती है। उदाहरणस्वरूप अनुशासन में दंड के स्थान पर स्वानुशासन की भावना का विकास वर्तमान विद्यालय पाठ्यक्रम का अंग है, इसके लिए छात्रों के साथ शिक्षक के व्यवहार संबंधी व्यवस्था को परामर्श और निर्देशन प्रक्रिया के माध्यम से बताया गया है, अर्थात शिक्षक द्वारा छात्रों में उचित निर्देशन और परामर्श के द्वारा स्वानुशासन की भावना का विकास किया जाता है।
- दिशा निर्देश की व्यवस्था:- पाठ्यक्रम दिशा निर्देश की व्यवस्था से भी सम्बंधित होता है। छात्रों के सभी प्रकार के विकास के लिए संपन्न की जाने वाली विभिन्न प्रकार की क्रियाओ का उल्लेख इसमें होता है। छात्रों को मानसिक शारीरिक नैतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित करने के लिए देश के लिए योग्य नागरिकों का निर्माण करने के लिए पाठ्यक्रम में सभी प्रकार के उद्देश्य और दिशा निर्माण होते हैं।
- सार्वजनिक हित का आधार :- पाठ्यक्रम में सार्वजनिक हित अर्थात सभी के हित का समावेश होता है। पाठ्यक्रम का निर्माण एक व्यक्ति के लिए नहीं होता है, यह संपूर्ण समाज के हित के लिए उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के सिद्धांत होते हैं, जो समाज के हित के लिए बनाए जाते हैं, शिक्षक शिक्षार्थी के माध्यम से शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाकर समाज और राष्ट्र का हित करते हैं और समाज में उच्च गुणों से संयुक्त नागरिकों का निर्माण करते हैं तथा सभी प्रकार के हित में काम करते हैं।
दोस्तों यहाँ पर आपने पाठ्यक्रम की विशेषताएँ (Features of Curriculum) पढ़ी, आशा करता हुँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
इसे भी पढ़े :-
एक टिप्पणी भेजें